धर्मशाला: जिला कांगड़ा के तहत आने वाले विभिन्न क्षेत्रों के बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों ने बुधवार (28 फरवरी) को मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा के माध्यम से एक ज्ञापन भेजा है. जिसमें पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले में इस वर्ष सहित आगामी वर्ष में आने वाली समस्याओं को दुरूस्त किए जाने की मांग उठाई गई है. अभिभावकों ने अपनी लिखित शिकायत में बताया है कि नई नीति के तहत इस वर्ष छात्रों को एक्स्ट्रा साल लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि आगामी वर्ष में भी एक अप्रैल के बाद कुछ दिनों या कुछ सप्ताह-माह के अंतर से पूरे छह वर्ष के चक्कर में एक वर्ष व्यर्थ जाते हुए दिखाई दे रहा है, ऐसे में हर वर्ष उचित राहत प्रदान किए जाने के लिए कोई नीति बनाई जाए.
अभिभावकों में इंद्रा, राजकुमार, नीशा बालिया, सुनील कुमार, मोनिता ठाकुर, मधुलिका, ज्योतिवाला, कविता ठाकुर, आदित्य, सुमित शर्मा, अनिल कुमार, प्रिया, अजय, विशाल कपूर व अन्य का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्कूलों में पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले को लेकर छह वर्ष से अधिक आयु का निर्धारण किया गया है. हजारों छात्रों को नए नियमों के तहत प्रवेश प्रक्रिया में काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं.
उन्होंने बताया कि जब बच्चों को स्कूल में प्री-नर्सरी व नर्सरी में दाखिले करवाए थे, तो उस समय छह आयु वर्ष के नियम को लागू नहीं किया गया था, ऐसे में अधिकतर अभिभावकों के बच्चे साढ़े चार व पांच वर्ष की आयु में यूकेजी में पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि कुछेक छह वर्ष की आयु पूरी करने से पहले यानि की पांच, पांच प्लस में ही पहली कक्षा में पहुंच गए हैं. साथ ही जो बच्चे आगामी वर्ष में छह वर्ष के होंगे, उन्हें भी पहली में दाखिला नहीं मिल रहा है, ऐसे में छह प्लस का इंतजार करना पड़ रहा है. लेकिन अब छात्रों के संबंधित स्कूलों में छह वर्ष आयु व छह माह की छूट के बावजूद दाखिले के योग्य न पाए जाने पर उन्हें फिर से पूर्व में पास की गई कक्षाओं में बिठाया जा रहा है.
जिला कांगड़ा के अभिभावकों, माता-पिता व शिक्षाविदों ने प्रदेश सरकार से इस संबंध में उचित नीति बनाकर कुछ अंतर वाले छात्रों को हर वर्ष राहत प्रदान किए जाने की मांग उठाई है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार