शिमला: राज्य सरकार सीमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए के नियमों में बड़ा बदलाव किया है. सीमेंट कारखानों की स्थापना के लिए खनन पट्टों को टुकड़ों में विभाजित कर वहां सीमेंट उद्योग लगाने की अनुमति दी जाएगी. वहीं सीमेंट प्लांट लगाने के लिए खनन पट्टों को लीज पर देने के बजाए उसकी नीलामी (ऑक्शन) की जाएगी. उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने विधायक दीपराज के सवाल के जवाब में यह जानकारी सदन में दी.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इसको लेकर नियमों में बदलाव किया है. उन्होंने बताया कि पहले खनन पट्टे को लीज पर दिया जाता था. हिमाचल में जो खनन पट्टे हैं उनकी अपफ्रंट मनी काफी ज्यादा बढ़ गई है. अपफ्रंट मनी ज्यादा होने से कोई भी कंपनी निवेश को आगे नहीं आ रही थी. उन्होंने कहा कि हाल ही में दुबई में निवेशकों के साथ बैठक में इस प्रारूप के तहत कांगड़ा-चंबा और पठानकोट के आस-पास मौजूद चूना पत्थर के भंडार में रुचि दिखाई है. नए नियम से उद्योगपतियों को एक बार में अधिक अपफ्रंट मनी नहीं देनी पड़ेगी.
वह सीमेंट प्लांट लगाने के लिए तैयार है, क्योंकि वहां परिवहन लागत बहुत अधिक नहीं. इसी के दृष्टिगत सरकार ने अब सीमेंट कारखानों की स्थापना के लिए खनन पट्टों को टुकड़ों में विभाजित करने और उनकी नीलामी करने का निर्णय लिया है ताकि उद्योगपतियों को एक बार में अधिक अपफ्रंट मनी न देनी पड़े. उन्होंने कहा कि सरकार ने करसोग के अलसिंडी में सीमेंट उद्योग की स्थापना की कोशिश की, लेकिन कोई भी कंपनी आगे नहीं आई, क्योंकि अपफ्रंट मनी बहुत अधिक थी.
उद्योग मंत्री ने कहा सरकार ने एक कंपनी को कंसलटेंट के तौर पर रखा है, जो नीलामी के लिए अपफ्रंट मनी को विभाजित करने के बारे में दिशा निर्देश तैयार करेगी. उन्होंने कहा कि दुबई में निवेशकों की एक बैठक के दौरान एक कंपनी ने कांगड़ा-चंबा और पठानकोट के आसपास मौजूद चूना पत्थर के भंडार में रुचि दिखाई है और वह सीमेंट प्लांट लगाने के लिए तैयार है.
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि अलसिंडी में सीमेंट प्लांट के लिए लफार्ज कंपनी के साथ एमओयू साइन किया गया था और 2017 में लैटर ऑफ इंटेंड (एलओआई) भी जारी कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि प्लांट के पहले चरण के लिए मंजूरी भी ली गई थी, लेकिन कंपनी पर्यावरण संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने में विफल रही. इसलिए उनका एलओआई रद्द कर दिया और कंपनी हाईकोर्ट चली गई है.
इस दौरान विधायक हंस राज ने चंबा के सिकरी में सीमेंट प्लांट स्थापित करने का मामला उठाया. विधायक डॉ. हंसराज ने चंबा में सीमेंट प्लांट का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि चंबा प्लांट की तीन बार ऑक्शन की गई. कोई भी कंपनी यहां नहीं आई. उन्होंने कहा कि अब इस प्लांट का ब्रेकअप करके तीन टूकड़े बनाए जाएंगे फिर इसकी ऑक्शन होगी.
सड़क सुविधा न होने से नहीं बिके औद्योगिक प्लॉट
विधायक केएल ठाकुर, सतपाल सत्ती और जेआर कटवाल के संयुक्त सवाल के जवाब में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि प्रदेश में कुल 67 औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं, जिनमें 3594 प्लाट हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से 495488 वर्ग मीटर क्षेत्र के 305 औद्योगिक प्लाटों को नहीं बेचा जा सका है, क्योंकि ये प्लाट सड़क सुविधा से नहीं जुड़े हैं आ फिर भूमि विवाद में फंसे हैं या उद्योगों के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 15 जनवरी 2024 तक किसी भी उद्योग ने हिमाचल से पलायन नहीं किया है.
उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि ऐसे औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं करेगी, जहां औद्योगिक प्लाट बनाने की कीमत बहुत अधिक हो. उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग विभाग कुछ औद्योगिक क्षेत्र में खाली पड़े औद्योगिक प्लाटों का सर्वोत्तम उपयोग भी सुनिश्चित करेगा. एक प्रतिपूरक सवाल के जवाब में उद्योग मंत्री ने कहा कि बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में 30 कंपनियां केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार सीएसआर के तहत पैसा खर्च कर रही है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार