भारतीय सेना का शौर्य पूरा विश्व जानता है. भारत के जवानों ने अपनी वीरता और साहस का परिचय अनेकों बार दिया है. भारतीय सैनिकों की शौर्यगाथाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. इन्हीं में से एक है बालाकोट एयर स्ट्राइक. पाकिस्तान से लिया गया भारत का वो बदला, जिसने पाकिस्तान को बता दिया कि उसके हर दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. आज यानी 26 फरवरी को बालाकोट स्ट्राइक की पांचवी वर्षगाठ है. ये वो दिन है जिसे याद कर हर भारतीय गर्व और जोश से भर जाता है. तो आइए जानते हैं कि कैसे हमारे देश की वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकानों पर बम बरसाए थे.
26 फरवरी 2019 दिन मंगलवार… करीब रात के 3 बज रहे थे. भारतीय वायु सेना (IAF) के 12 मिराज-2000 फाइटर जेट लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पार कर पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए और बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तहस-नहस कर दिया. यहीं नहीं भारतीय सैनिकों ने दुश्मनों के घर में घुस कर उसे मारा और सुरक्षित वापस लौट भी आए.
सरकारी दावे के अनुसार मिराज 2000 ने आतंकी ठिकानों पर करीब 1000 किलो के बम गिराए, जिसमें कई आतंकी ठिकाने तहस-नहस हुए और लगभग 300 आतंकियों के चीथड़े उड़ गए. पाकिस्तान को भारत की इस कार्रवाई की भनक तक नहीं लगी थी.
दरअसल, भारत की तरफ से पाकिस्तान पर यह हमला 12 दिन पहले पुलवामा में किए गए आतंकी हमले का बदला था. 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमला किया था. इस हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए और कई अन्य घायल भी हुए थे. जम्मू-कश्मीर राज्य के पुलवामा जिले में पाकिस्तान पोषित जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन को सीआरपीएफ जवानों की बस से टक्कर मार दी थी. इस टक्कर के बाद एक जोरदार धमाका हुआ और बस से जा रहे जवानों के क्षत विक्षत शरीर जमीन पर बिखर गए.
इस हमले के बाद भारत ने बदला लेने की ठानी. 14 फरवरी, यानी जिस दिन आतंकी हमला हुआ, उसके एक दिन बाद 15 तारीख को सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक हुई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान से बदला लेने के लिए कई ऑप्शन दिए गए थे. उरी हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला लिया था, लेकिन इस बार तय हुआ कि अब कुछ अलग रणनीति के साथ जवाब दिया जाएगा. लंबे मंथन के बाद एयरस्ट्राइक को फाइनल किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को इस प्लान की जिम्मेदारी दी गई. अजित डोभाल और तत्कालीन वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने पूरे एक्शन का ब्लूप्रिंट तैयार किया. इसी दौरान तय हुआ कि बालाकोट में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को निशाना बनाया जाएगा. जब जगह तय कर ली गई उसके बाद सभी एजेंसियों ने इनपुट निकालना शुरू कर दिया. रॉ और आईबी ने जैश के ठिकानों की पुख्ता जगह खोज निकाली.
भले ही इस हमले में वायुसेना का अहम रोल था, लेकिन थल सेना को भी अलर्ट पर रखा गया. खासकर LoC के पास वाले इलाके में जवान पूरी तरह सतर्क थे. आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्रइक से 2 दिन पहले ही प्लान तय तैयार कर लिया गया. प्लान के अनुसार 25 फरवरी की शाम ऑपरेशन में हिस्सा ले रहे लोगों के फोन बंद कर दिए गए ताकि किसी भी तरह इनपुट लीक ना हो. पीएम मोदी, NSA अजित डोभाल और वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ लगातार हर अपडेट की जानकारी ले रहे थे.
26 फरवरी की देर रात मिराज 2000 ने ग्वालियर से उड़ान भरी तो आगरा और बरेली के एयरबेस को भी अलर्ट पर रख दिया गया और इस दौरान पाकिस्तानी एयर डिफेंस सिस्टम पर निगाह रखने को कहा गया. 12 मिराज लड़ाकू विमान भारतीय जवानों के साथ रात लगभग तीन बजे पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हुए और बालाकोट में बम बरसाने शुरू कर दिए.
इसके बाद पाकिस्तान के एफ-16 विमान एक्टिव हो गए, लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी, भारत की वायुसेना अपना काम कर चुकी थी. भारतीय वायुसेना के एक्शन में बालाकोट में मौजूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने तबाह हो चुके थे. पाकिस्तान ने घटना के बाद अपने पूरे एयर स्पेस को नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया था और महीनों तक घटनास्थल पर किसी की भी आवा-जाही पर रोक लगा दी थी.
आपको बता दें कि एयर स्ट्राइक शुरू करने और सुरक्षित रूप से वापस आने के पूरे ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन बंदर’ (बंदर) नाम दिया गया था. यह नाम गोपनीय बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए दिया गया था कि हवाई हमले की योजना लीक न हो. हालांकि इन नाम के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है, लेकिन जानकारी के अनुसार इस पूरे ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन बंदर’ इसलिए दिया गया था क्योंकि भारत की युद्ध संस्कृति में बंदरों का हमेशा एक विशेष स्थान रहा है. जैसे रामायण में भगवान राम के लिए भगवान हनुमान लंका में घुसकर रावण की लंका को नष्ट कर आए थे. ठीक उसी तरह इस ऑपरेशन में भी भारतीय वायुसेना पाकिस्तानी धरती पर घुस कर आतंकी शिविरों पर कहर बरपा कर वापस आ गए.