शिमला: राजस्व व बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि एमआईएस के तहत किसानों और बागवानों की सेब और अन्य फलों की 78 करोड़ रुपए बकाया देना बाकी है. इस वर्ष का 62.29 करोड़ रुपए देना बकाया है और बाकी पिछला बकाया है. उन्होंने कहा कि 2022-23 का 86 करोड़ रुपए बकाया था और इसका बचा हुआ 15 करोड़ रुपए देना है. उन्होंने कहा कि पैसे के बदले उपकरण देने का प्रचलन काफी पुराना है.
उन्होंने कहा कि केंद्र से एमआईएस के तहत पैसा मिलता था, लेकिन इस बार केंद्र ने इसके लिए केवल मात्र एक लाख रुपए का ही प्रावधान किया है. वे कांग्रेस सदस्य कुलदीप राठौर के सवाल का जवाब दे रहे थे.
जगत सिंह नेगी ने कहा कि जो उपकरण दिए जा रहे हैं, वह बाजार से सस्ते हैं. उन्होंने कहा कि एचपीएमसी ने अपनी कमीशन भी कम की है और यह बाजार से सस्ते हैं. उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि एचपीएमसी और हिमफैड में बाजार से महंगे उपकरण हैं.
कांग्रेस सदस्य कुलदीप राठौर ने कहा कि एमआईएस के तहत बागवानों का 39 करोड़ रुपए एचपीएमसी के पास और 22 करोड़ हिमफैड के पास बकाया है. कई सालों से यह भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि भुगतान न होने से बागवानों को नुकसान हो रहा है. उन्होंने जानना चाहा कि भुगतान की कोई निश्चित तिथि बताई जाए. साथ ही पूछा कि पैसे के एवज में जो सामग्री दी जाती है, वह बाजार से महंगे दाम पर दी जा रही है. उन्होंने कहा कि महंगे दामों पर अंकुश लगना चाहिए.
उधर, विधायक बलबीर वर्मा ने अनुपूरक सवाल किया कि आईआरडीपी के बागवानों को सारी पेमेंट तुरंत की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि उपकरणों की क्वालिटी ठीक हो, इसके लिए कमेटी का गठन किया जाना चाहिए.
इस पर बागवानी मंत्री ने कहा कि जो उपकरण ले रहे हैं, वह क्वालिटी के हैं. उन्होंने कहा कि छोटे और बीपीएल के बागवानों को तुरंत पैसा जारी करने का सुझाव अच्छा है और इस पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि एमआईएएस के तहत 2023-24 में 52915.89 मीट्रिक टन सेब की खरीद की गई, जिसका कुल मूल्य 63.49 करोड़ रुपए था. इसमें से 62.29 करोड़ रुपए का बकाया शेष है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार