शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मंगलवार (20 फरवरी) को गौ सदनों की खस्ताहालत का मुद्दा गूंजा. सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तीखी नोक-झोंक भी हुई. कृषि मंत्री चंद्र कुमार की विपक्षी सदस्यों को लेकर की गई टिप्पणी से सदन में माहौल गरमा गया और दोनों ओर से शोरगुल होने लगा. बाद में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदस्यों को आश्वात किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही आगे बढ़ी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गऊ माता को माता का दर्जा दिया गया है और यह दर्जा महज कागजों तक सीमित नहीं रहेगा. सरकार प्रयास करेगी कि प्रदेश में बनने वाले नए कऊ सेंक्चुरी में अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाने का प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि कोई भी कऊ सेंक्चुरी ऐसी जगह नहीं बनेगी, जहां सुविधाएं मुहैया करवाना मुश्किल हो. सरकार प्रयास करेगी कि इसके लिए ऐसे स्थान को चिन्हित किया जाएगा, जहां पानी भी आसानी से उपलब्ध हो और चरने के लिए भी जगह हो. उन्होंने कहा कि कऊ सेंक्चुरी के लिए यदि सरकारी भूमि उपलब्ध न हो तो सरकार निजी भूमि लेने के भी प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार गौ वंश को खुले में छोड़ने वालों से सख्ती से निपटेगी और यह व्यवस्था करेगी कि गाय को उसके मालिक ने कब छोड़ा और कितने समय यह गौ सदन में रही.
इससे पहले, विधायक भुवनेश्वर गौड़, केएल ठाकुर और विनोद सुल्तानपुरी के मूल और संजय रतन, सतपाल सिंह सत्ती और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के अनुपूरक सवाल पर कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने सदन में कहा कि पिछले कुछ समय से गौ सदनों को खोलने का प्रचलन काफी बढ़ गया है, क्योंकि सरकार की ओर से उन्हें अनुदान दिया जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि इन गौ सदनों की हालत खराब है और इनकी कोई चैकिंग भी नहीं होती.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मौजूदा समय में 261 गौ सदन हैं. इनमें से 198 गौ सदनों को अनुदान दिया जा रहा है. 198 में से 13 गौ सदन पशुपालन विभाग द्वारा संचालित किए जा रहे हैं तथा 185 गौ सदनों का संचालन गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रदेश सरकार से प्राप्त अनुदान से किया जा रहा है और शेष 63 गौ सदनों का संचालन गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा बिना किसी अनुदान के अपने स्तर पर किया जा रहा है.
कृषि मंत्री ने कहा कि पशु पालन विभाग अप्रैल माह से प्रदेश में पशुगणना का कार्य शुरू करने जा रहा है. इस बार जो गणना होगी, उसमें पूरी तरह से टैगिंग की जाएगी कि पशु धन के मालिक और पूरा ब्यौरा उसमें दर्ज होगा, ताकि छोड़ने पर उसका पता चल सके. उन्होंने कहा कि विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने सवाल किया कि ऊंचाई वाले इलाकों में गौ सदनों में डाक्टर नहीं जाते. इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास रहेगा कि गौ सदन ऐसे स्थान पर खुले, जहां बर्फ न गिरती हो और ठंड भी कम पड़ती है.
विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि सरकार ने जो यह कहा है कि बेसहारा पशुओं के कारण कोई सड़क हादसा नहीं हुआ है, यह आंकड़ा पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि गऊ सदनों की हालत खराब है और इसमें सुधार की जरूरत है.
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि नए गौ सदन की जगह जो गौ सदन चल रहे हैं, उनकी हालत सुधरे. उन्होंने कहा कि एक पशु के लिए सरकार अभी सात सौ रुपए प्रति माह दे रही है और अगले बजट में इसे बढ़ाकर 1200 रुपए किया जा रहा है. इससे रखरखाव में गौ सदन संचालकों को मदद मिलेगी.
विधायक संजय रतन ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में पूर्व सरकार के कार्यकाल में पांच करोड़ रुपए से एक गऊ सदन का निर्माण किया गया और वहां पर निर्माण के नाम पर एक शैड और दो खुर्लियां बनाई गई. उन्होंने कहा कि यह पर एक हजार पशुओं को रखा गया और तीन माह में ही करीब 900 पशुओं की मौत हो गई. उन्होंने इस गौ सदन के निर्माण की जांच की मांग की. वहीं विधायक केएल ठाकुर ने भी नालागढ़ हलके में गऊ सदन की खस्ताहालत का मामला उठाते हुए जांच की मांग की. उधर, सतपाल सिंह सत्ती ने सुझाव दिया कि सरकार मलकूमाजरा में बनी गऊ शाला की तर्ज पर इनका निर्माण किया जाए. उन्होंने कहा कि ऐसी साफ सुथरी गऊ शाला कहीं नहीं देखी. उन्होंने कहा कि आवारा पशुओं के कारण हर साल 500 करोड़ रुपए का नुकसान कृषि को हो रहा है. ऐसे में सरकार 100 करोड़ रुपए खर्च कर इसे बचा सकती है.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि गौवंश का मामला श्रद्धा से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने गौ संवर्धन बोर्ड का गठन किया था. उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने को सख्त कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि एक भी गाय सड़क पर नहीं होनी चाहिए. इसके लिए बड़े स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है. साथ ही कहा कि पशु गणना में यह भी पता लगाना चाहिए कितनी गाय सड़कों पर है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार