धर्मशाला: प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा ने प्रदेश सरकार पर कांगड़ा जिला की सरकारी संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया है. मंगलवार (20 फरवरी) को जारी एक प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि सरकार कांगड़ा जिला के साथ भेदभाव करती आ रही है. जिला की सरकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने की बजाय सरकार इन्हें कमजोर कर रही है.
उन्होंने कहा कि इसका ताजा उदाहरण आर्किटेक्ट विंग कांगड़ा जोन के धर्मशाला स्थित कार्यालय से स्टाफ को कम करना जोकि अन्य जोन के मुकाबले पहले से ही बहुत कम है. एक बार फिर सरकार की तरफ से कांगड़ा जिला के लोगों के हितों पर कुठाराघात है और यह सरकार की मानसिकता को दर्शाता है कि सरकार राजनीतिक और प्रशासनिक तौर पर कांगड़ा जिला को कमजोर करना चाहती है.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आर्किटेक्ट विंग धर्मशाला में पहले से ही शिमला के मुकाबले बहुत कम स्टाफ था लेकिन वहां से पदों को शिमला में बदलकर शिमला के 51 पदों के स्थान पर उनको 62 कर देना कहां तक उचित है. मंडी जोन से भी 18 पदों में से आठ पद शिमला बदल देना मंडी के लोगों के साथ भी भेदभाव की राजनीति सरकार कर रही है. इसी तरह मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग उत्तरी क्षेत्र के कार्यालय से भी तीन पद स्थानांतरित किये गए हैं.
उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला की जनता के समर्थन से बनी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार कांगड़ा जिला की जनता के साथ आए दिन सौतेला व्यवहार कर रही है. आर्किटेक्ट विंग के अतिरिक्त यदि अन्य विषयों पर भी बात करें तो सरकार की बेरुखी जनता की समझ से बाहर है.
केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के उत्तरी परिसर के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से वन विभाग को देय 30 करोड़ रूपया नहीं देना और मुख्यमंत्री द्वारा उसके ऊपर बहाने बाजी बनाना दर्शाता है कि मुख्यमंत्री कांगड़ा जिला के लिए कैसी दुर्भावना रखते हैं. पहले मुख्यमंत्री रहते थे कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए चयनित स्थान की मिट्टी का परीक्षण करवाएंगे कभी कहते हैं कि यह क्षेत्र भूकंप संभावित है. और अब मुख्यमंत्री ने कहना शुरू कर दिया है कि यह 30 करोड़ रूपया कैसे बनाया वह उसका आकलन करवाएंगे और उनका यह बयान दर्शाता है कि वह नहीं चाहते की उत्तर क्षेत्र परिसर का निर्माण धर्मशाला के जदरांगल में हो. यहां तक कि इसके लिए जिला की जनता द्वारा किया गया आंदोलन भी मुख्यमंत्री नजरअंदाज कर रहे हैं.
बजट के अंदर भी कांगड़ा जिला के लिए किसी योजना का जिक्र नहीं है न ही कोई बजटीय प्रावधान है मात्र कुछ कोरी घोषणाएं हैं धरातल पर उनका कोई आधार नहीं है.
यही नहीं मुख्यमंत्री राजनीतिक तौर पर भी कांगड़ा जिला को प्रताड़ित कर रहे हैं जहां पूर्व की सरकारों में कांगड़ा जिला के महत्व को देखते हुए पूर्ण राजनितिक प्रतिनिधित्व दिया जाता था वहां पर एक वर्ष के बाद कुल दो मंत्री देकर मुख्यमंत्री ने किनारा कर लिया है. कांगड़ा जिला के अपने ही राजनीतिक दल के नेताओं की प्रताड़ना में सरकार ने कोई कमी नहीं रखी है. प्रशासनिक राजनीतिक व आर्थिक प्रताड़ना का बदला आने वाले दिनों में सरकार से कांगड़ा जिला की जनता लेगी और सरकार को इसका मुंहतोड़ जवाब देगी.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार