पालमपुर: पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि भारत एक ऐसा धार्मिक देश है जहां सब अंबानी अदानी मिलकर इतने अमीर नहीं हैं जितने भारत के मन्दिर अमीर हैं. भारत सरकार का पूरा खजाना भी मन्दिरों के धन से कम है. हिमाचल प्रदेश के मन्दिरों में भी कम दौलत नहीं है. सरकार कानून बनाए कि हर बड़ा मंदिर एक गऊशाला बनावाए और उनका संचालन करे.
शान्ता कुमार ने मंगलवार (06 फरवरी) को एक बयान जारी कर सवाल उठाया कि दक्षिण के कई मन्दिरों के कमरों में कितना सोना चांदी है इसकी गिनती भी नहीं की जा सकती. सबसे अमीर तिरुपति मन्दिर में 52 टन सोना है जिस की कीमत 37 हजार करोड़ रुपये है. देश के मन्दिरों में पड़ा यह अथाह धन क्या देश के किसी अच्छे काम के उपयोग में नही लाया जा सकता. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के 10 बड़े मन्दिरों में ही तीन सौ करोड़ रुपये की एफडी और 110 किवंटल सोना है. उसी हिमाचल प्रदेश में घर-घर पूजी जानी वाली गऊमाता वे सहारा सड़कों पर घूमती है. अब कृषि के लिए बैलों का कोई उपयोग नही रहा. इसलिए गऊ पुत्र बैल भी सड़कों पर आवारा पशु बनकर घूम रहे है. इन आवारा पशुओं के कारण ही कई बार सड़क दुर्घटनाएं होती है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 35 मन्दिर तो सरकार के अधीन है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि सरकार ऐसा नियम बनाए कि हिमाचल का हर बड़ा मन्दिर एक गऊशाला चलाये. इससे सरकार का कोई खर्च नहीं होगा और मन्दिरों के धन का भी ठीक से उपयोग हो सकेगा. हिमाचल प्रदेश में मन्दिर इतने समृद्ध है कि हर बड़े मन्दिर के धन से एक अच्छी बढ़िया गऊशाला चला सकता है. हिमाचल भारत का पहला प्रदेश बने, जिसकी सड़कों पर कहीं पर कोई आवारा पशु न दिखाई दे. सरकार इतना बड़ा ऐतिहासिक काम उस पैसे से कर सकती है, जिसका आज किसी प्रकार का उपयोग नही हो रहा है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार