शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पारिस्थिकीय संतुलन बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के दृष्टिगत लोगों से वेटलैंड के संरक्षण का आह्वान किया है. उनका कहना है कि वेटलैंड समाज को पर्यावरण संतुलन प्रदान करते हैं. इनमें ताजा जल, पानी में से नुकसानदायक अपशिष्ट को छानकर इसे पीने के लिए शुद्ध बनाते हैं. इसके साथ ही यह खाद्य पदार्थों के बेहतर स्रोत के रूप में भी जाने जाते हैं.
मुख्यमंत्री ने गुरूवार (1 फरवरी) को विश्व वेटलैंड दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेशवासियों से हिमाचल में स्थित रामसर स्थलों एवं अन्य वेटलैंड क्षेत्रों के संरक्षण के लिए सक्रिय सहयोग का भी आग्रह किया. इस वर्ष विश्व वेटलैंड दिवस की विषय-वस्तु ‘आर्द्र भूमि और मानव कल्याण’ रखी गई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वेटलैंड विषम मौसमी घटनाओं के दौरान भी वेटलैंड अत्याधिक जल प्रवाहन तथा सूखे जैसे जोखिमों को कम करने में अपनी भूमिका निभाते हैं. वेटलैंड क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण के साथ ही असंख्य लोगों के लिए जीवनयापन का स्रोत भी हैं.
सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में रामसर स्थलों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार सहित स्थानीय समुदायों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में विभिन्न पारिस्थितकीय क्षेत्रों में विविध वेटलैंड फैले हुए हैं. यह क्षेत्र स्थानीय लोगों की आजीविका की पूर्ति के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य एवं पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं.
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार इन स्थलों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए प्रभावी कदम उठा रही है. हिमाचल प्रदेश वेटलैंड प्राधिकरण के माध्यम से इस दिशा में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. उन्होंने कहा कि वेटलैंड के संरक्षण, प्रबधंन, सुरक्षा और वेटलैंड सम्बंधी नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय वेटलैंड समितियां भी गठित की गई हैं. ईको-क्लबों के माध्यम से विद्यार्थियों को इससे जोड़ा गया है और सामुदायिक स्तर पर वेटलैंड बचाव अभियान के माध्यम से इनके बारे में जागरूकता लाई जा रही है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार