मुगल सम्राट बाबर ने चंदेरी पर कब्जा करने के लिए हमला किया था. इस दौरान चंदेरी के राजा ने मुगल सेनाओं से युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की थी. इसके बाद चंदेरी किले में 29 जनवरी 1528 को रानी ने हजारों राजपूत वीरांगनाओं के साथ मिलकर अपने सतीत्व की रक्षा करते हुए जौहर किया था.
सन 1527 में खानवा में बाबर और राणा सांगा के बीच युद्ध हुआ था. चंदेरी के राजा मेदनी राय और राणा सांगा घनिष्ट मित्र थे. चंदेरी का सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान था. मालवा और बुंदेलखंड की सीमा पर स्थित होने की वजह से इसका महत्व और बढ़ गया था. इसलिए बाबर ने चंदेरी पर हमला करने की योजना बनाई. 9 दिसंबर 1528 ईसवींको सीकरी से चंदेरी पर आक्रमण करने के उद्देश्य से रवाना हुआ. 28 जनवरी को बाबर अपनी सेना समेत रामनगर तालाब के पास रुका रहा.
बाबर ने मेदनी राय को चंदेरी छोड़ने के बदले कहीं और का राजपाट देने का प्रस्ताव रखा परंतु मेदनी राय ने बाबर के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. 29 जनवरी 1528 को बाबर ने किले पर आक्रमण कर दिया. इसमें तोपों का इस्तेमाल किया गया. युद्ध में राजा मेदरी राय के साथ हजारों राजपूत सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की.
युद्ध में हार के कारण राजपूत वीरांगनाओं ने अपने आपको अग्नि में समर्पित कर जौहर किया था.