धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने 10 गारंटियों के भ्रमजाल में लोगों को फांस कर सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन एक साल बाद सही मायनों में एक भी गारंटी को लागू नहीं कर पाई है. यह आरोप भारतीय राज्य पेंशनर संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने लगाए हैं.
बुधवार को धर्मशाला में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में आई आपदा के दौरान पेंशनर्ज और कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन आपदा राहत कोष में दे दिया, लेकिन प्रदेश सरकार उस पैसे को सीपीएस को सुविधाएं देने पर खर्च कर रही है.
उन्होंने कहा कि झूठे वादे कर सत्ता में आई कांग्रेस का संगठन पीछे है और सरकार चलाने वाले आगे. आलम यह है कि सरकार चलाने वाले, संगठन की बात नहीं मान रहे, ऐसे में प्रदेश की जनता सरकार से क्या अपेक्षा कर सकती है.
प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य एवं भारतीय राज्य पेंशनर संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने सबसे बड़े जिला कांगड़ा से भेदभाव किया है. घनश्याम शर्मा ने सरकार द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने कह दिया है कि कर्मचारियों व पेंशर्स को देय भत्ते देने का पैसा सरकार के पास नहीं है तथा इसके लिए कर्मचारी अपील में चले जाएं, जिसके लिए मई तक का समय दिया गया है.
सीयू के मुद्दे पर घनश्याम शर्मा ने कहा कि जो सरकार सीयू निर्माण हेतू अपना 30 करोड़ रुपये का शेयर जमा नहीं करवा सकती, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने सरकार को डिनोटिफाई करने वाली सरकार की संज्ञा दी. हिमाचल कर्मचारी व पूर्व कर्मचारी बाहुल्य प्रदेश है, लेकिन कर्मचारियों व पेंशनर्स की ही प्रदेश सरकार उपेक्षा कर रही है.
उन्होंने कहा कि भारतीय राज्य पेंशनर संघ ने सरकार को 26 जनवरी तक का अल्टीमेटम मांगों को लेकर दिया है, इसके बाद संघ आंदोलन की राह पर अग्रसर होगा. सरकार ने 12 प्रतिशत डीए जो देय है, उसे फ्रीज कर दिया है. प्रदेश में वित्तीय कुप्रबंधन के चलते प्रदेश बदहाली की हालत में है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार