शिमला: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि विकास के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. सृजन से लेकर समाज को स्थापित करने वाली नारी शक्ति सम्मान के योग्य है.
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल गुरुवार को शिमला में एक निजी समाचार पत्र समूह के नारी शक्ति सम्मान समारोह-2024 को संबोधित कर रहे थे. पुरस्कार पाने वाली अग्रणी महिलाओं को बधाई देते हुए राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश में नारी शक्ति को समाज के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और वे अन्य महिलाओं के लिए भी रोल मॉडल के रूप में सामने आएंगी.
उन्होंने कहा कि आज अनेक महिलाओं ने विकास के शिखर को छुआ है और वे समाज के लिए प्रेरणा बनी हैं. उन्होंने न केवल पुरुष प्रधान समाज में अपने को सिद्ध किया है बल्कि समाज का नेतृत्व कर रही हैं. विभिन्न विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह अक्सर यह पाते हैं कि मेडल व डिग्रियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या लड़कों से कहीं अधिक रहती है, जो गौरव की बात है. यह सामाजिक बदलाव, जिसके पीछे महिलाओं का आत्म बल, कड़ी मेहनत और वह जज्बा है, जो उन्हें असाधारण बनाता है. उन्होंने कहा कि वह चाहे एशियन गेम्स हो या फिर पैरा ऑलाम्पिक्स, मेडिल सर्वाधिक महिलाओं के नाम रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज भारत की नारी शक्ति जीवन के हर पहलू में एक नए सामर्थ्य और नए विश्वास के साथ सफलता के कीर्तिमान स्थापित कर रही है.
प्रदेश में बढ़ते नशे पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि हिमाचल को देशभूमि कहा जाता है. नशामुक्ति के लिए सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने एक प्रयास किया है कि सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के समय विद्यार्थियों से नशा न करने का शपथ भरा जाएगा. उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को भी इस पर अमल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज जिस प्रकार का नशा प्रचलन में है उससे जीवन बचाने की यह मुहिम है. उन्होंने कहा कि सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाली हमारी बेटियाँ अपनी इच्छा-शक्ति और कठिन परिश्रम के बल पर सभी चुनौतियों का सामना करते हुए खेल, संगीत, कला, विज्ञान और रक्षा जैसे सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं.
उन्होंने कहा कि नारी सम्मान हमारी संस्कृति का आधार रहा है. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से आधुनिक भारत तक हमारा इतिहास महिलाओं के योगदान की गाथाओं से भरा हुआ है. गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषियों से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होलकर जैसी वीरांगनाओं के योगदान के उल्लेख के बिना हमारा इतिहास अधूरा है.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार