शिमला: हिमाचल प्रदेश में सर्दी के मौसम में भी जंगल लगातार धधक रहे हैं. पिछले तीन-चार दिनों से कुल्लू जिला के विभिन्न हिस्सों के जंगलों में आग का तांडव है. जंगलों में लग रही आग से जहां वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है. वहीं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है. हैरत की बात यह है कि जिला के कई जंगल आग की जद में आ रहे हैं और अग्निशमन विभाग के लिए आग पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है. दरअसल वन भूमि में सड़कें न होने के चलते अग्निशमन विभाग की गाड़ियां मौके पर नहीं पहुंच सकती हैं.
कुल्लू जिला मुख्यालय के नजदीक जंगल में फैलती आग चिंता का विषय बन गई है. एक हिस्से में आग की लपटों को शांत करते ही दूसरे हिस्से में आग प्रचंड रूप धारण कर रही है. मंगलवार रात को भी कुल्लू मुख्यालय के साथ सटी सारी की पहाड़ी के जंगल में आग लग गई. बुधवार सुबह से ही पहाड़ी पर आग लगने से पूरे कुल्लू शहर सहित घाटी में चारो तरफ धुआं छाया रहा. इसी तरह भेखली की पहाड़ी पर भी आग की लपटें परेशानी का सबब बनी हुई है. यहां तक कि लोगों को आग की लपटों से अपने घरों को बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. जंगल की आग के कारण कई देवदार और चीड़ के पेड़ भी जल रहे हैं. वहीं, जंगल की आग में कई प्रकार की वनस्पति और जीव जंतु भी आग में स्वाह हो रहे हैं.
इसी तरह कुल्लू के कोटला धार जंगल में भड़की आग वन निगम के डिपो तक पहुंच गई और वन निगम के डिपो में रखे दो हज़ार से अधिक स्लीपर भी आग से खाक हो गए. वन निगम के डिपो में देवदार, कायल, राई इत्यादि लकड़ी के स्लीपर रखे गए थे. इनके राख होने से वन निगम को भी लाखों रुपए का नुकसान हुआ है.
वन विभाग कुल्लू ने इस घटना को लेकर कुल्लू पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई गई है. वन निगम के डीएम ने बताया कि बीती रात लगी आग के चलते यह स्लीपर पूरी तरह से जलकर राख हो गए हैं. इससे निगम को भारी नुकसान हुआ है.
इसके अलावा कुल्लू जिला की ऊझी घाटी के पतलीकूहल के जंगल भी सुलग रहे हैं. सूखे मौसम के चलते आग जंगलों में तेज़ी से फैल रही है. आग पर काबू पाने के लिए स्थानीय लोग आसमान को ताक रहे हैं और बादलों के बरसने का इंतज़ार कर रहे हैं. विंटर सीजन में भड़की इस आग से कई हेक्टेयर जंगल राख हो गए हैं. वन महकमे के मुताबिक आग बुझने के बाद ही असल नुकसान का आंकलन हो सकेगा.
कुल्लू के वन मंडल अधिकारी (डीएफओ) एंजेल चौहान ने बताया कि अभी तक करीब 83 हेक्टेयर वन भूमि आग की चपेट में आ चुकी है जिसमें घासनियां भी शामिल हैं. आग के कारण बड़े पेड़ों को तो किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचती है लेकिन छोटे पेड़ आग में नष्ट हो जाते हैं.
वहीं कमाडेंट होम गार्ड कुल्लू निश्चिंत नेगी ने बताया कि जंगल में कुछ लोग सिगरेट या बीड़ी पीने के बाद सुलगती हुई फेंक देते हैं और शुष्क मौसम के कारण जंगल की घास आग जल्दी पकड़ लेता है. उन्होंने आम जनता से अपील करते हुए कहा है कि आग की घटना न हो इसका विशेष ध्यान रखें.
हिमाचल के पर्यावरण विशेषज्ञ कुलभूषण उपमन्यु कहते हैं कि जंगलों में आग लगने की 98 फीसदी घटनाएं मानव जनित कारणों की वजह से होती है. अक्सर ग्रामीण जंगल में गिरी पत्तियों और सूखी घास में आग लगा देते हैं. वह ऐसा इसलिए करते है जिससे वहां पर नई घास उग आए. लेकिन आग बढ़ जाने पर यह बेकाबू हो जाती है. उनका कहना है कि जंगलों में आग लगने से मिट्टी की ऊपरी परत जल जाती है और बाद में बारिश इस मिट्टी को अपने साथ बहा ले जाती है. इस वजह से जंगल धीरे-धीते मिट्टी विहीन हो रहे हैं.
साभार- हिन्दुस्थान समाचार