हर साल 25 दिसंबर को हिंदू तुलसी दिवस के रूप में मनाते हैं इस दिन मां तुलसी की विशेष पूजा की जाती है. ये त्योहार हिंदुओं के बीच बेहद प्रचलित है. तुलसी, जिसे वैज्ञानिक तौर पर होली बेसिल या ओसिमम टेन्यूफ्लोरम के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप का एक पौधा है जिसकी खेती आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशियाई उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है. ये आम तौर पर हर हिंदू घरों में भी मिल जाती है.
तूलसी का पौधा मंदिरों में प्रार्थना और अन्य शुभ कार्यक्रमों के लिए उपयोग में लाई जाती है. तुलसी पूजन दिवस का न सिर्फ धार्मिक महत्तव है बलकि तुलसी पूजन दिवस का एक उच्च औषधीय महत्व भी है. तो वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मान्यता है कि तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास होता है और उनकी पूजा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है, तुलसी का पौधा भक्तों के लिए धन लाता है. चलिए जानते हैं कि तुलसी के पौधे के क्या क्या लाभ हैं.
पत्ते के उपयोग से लाभ
तुलसी को जड़ी बूटियों की रानी कहते है. ये आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए वरदान की तरह है. हम सभी जानते हैं चाय में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करने से सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है. तुलसी के पत्तों का नियमित उपयोग खांसी और जुकाम की रोकथाम में रामबाण है. यहीं नहीं तुलसी त्वचा विकारों को भी ठीक कर सकती है और बैक्टीरिया और वायरल संक्रमणों का मुकाबला करने में भी सक्षम है. इसके सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है. अपने शक्तिशाली चिकित्सीय गुणों के कारण ही इसका उपयोग कई आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है. तुलसी का उपयोग कर कई उत्पाद बनाकर बाजार में बेचे जाते हैं, जैसे हर्बल चाय और आवश्यक तेल, उनके औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं. लोग इसके सूखे चूर्ण का भी सेवन करते हैं तो वहीं इसे मक्खन में मिलाकर खाया जाता है.
तुलसी का आयुर्वेद और वैज्ञानिक महत्व
पवित्र तुलसी के पत्ते आमतौर पर आयुर्वेदिक दवाओं को तैयार करने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं. ये किसी भी प्रकार की दुर्गंध और जहरीली सामग्री को मार देते हैं. तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कारगर है. प्रतिदिन एक तुलसी का पत्ता चबाकर खाने से खांसी और गले संबंधी विकार दूर हो जाते हैं. साथ ही तुलसी का पौधा घर से नकारात्मक ऊर्जा और प्रदूषण को दूर करता है. और इसी लिए विज्ञान की दुनिया में भी तुलसी को एक महत्वपूर्ण पौधा माना जाता है. विज्ञान के अनुसार तुलसी वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन छोड़ती है, जिससे उसके आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है. तुलसी के प्रभाव से मलेरिया फैलाने वाले पिस्सू और मच्छर घर में नहीं पनप पाते हैं. अस पौधे की मुख्य विशेषता शरीर में रक्त को विषमुक्त और शुद्ध करना है.
तुलसी पूजन दिवस पर पौराणिक मान्यताएं
हिंदू मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने तुलसी को गोमती तट पर और भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में लगाया था. अशोक वाटिका में सीता मां ने रामजी को पाने के लिए तुलसी जी के मानस पूजन में तप किया. हिमालय पर्वत पर पार्वती जी ने शंकर जी को पाने के लिए तुलसी का पौधा लगाया.
दूसरी मान्यता यह भी है कि रावण के भाई विभीषण भी प्रतिदिन तुलसी की पूजा करते थे. यही कारण था कि उनके महल में भी तुलसी का पौधा लगा हुआ था. कहा जाता है कि लंका दहन के समय जब हनुमान जी ने विभीषण के महल में इस पौधे को देखा तो उन्होंने इस एक स्थान को छोड़कर पूरी लंका में आग लगा दी.