भारत के लिए 25 दिसंबर का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. ये दिन भारत के इतिहास में सुशासन दिवस के रूप में दर्ज है. सवाल ये है कि इस दिन को सुशासन दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं? सुशासन दिवस मनाने का क्या उद्देश्य है?
सुशासन दिवस भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर को ही हुआ था. उनकी जयंती को सुशासन दिवस के तौर पर मनाते हैं. आइए जानते हैं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़ी रोचक बातें और पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती को सुशासन दिवस के तौर पर मनाने का कारण.
आज ही के दिन यानी 25 दिसंबर को वर्ष 1924 को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म उन्नाव में हुआ. वह पत्रकार बनना चाहते थे लेकिन बाद से संयोगवश राजनीति में आ गए. अटल जी और उनके पिता ने एक साथ बैठकर ही कानपुर के डीएवी कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की. दोनों एक ही क्लास में पढ़ते और साथ में ही रहते और खाते थे.
अटल बिहारी एक अच्छे वक्ता थे, लेकिन बहुत कम लोगों को ये बात पता होगी कि अटल बिहारी वाजपेयी जब किसी जनसभा में शामिल होते थे तो उससे पहले वह काली मिर्च और मिश्री का सेवन करते थे. उनके लिए खास मथुरा से मिश्री मंगाई जाती थी.
आपको बता दें कि अटल जी को तोहफे पसंद नहीं थे. वह गिफ्ट परंपरा के विरुद्ध थे. हालांकि उन्हें खाने पीने का काफी शौक था. इसलिए घर पर तैयार भोजन को ही वह सबसे बड़ा तोहफा मानते थे.
एक आदर्श राजनेता के तौर पर मशहूर अटल बिहारी वाजपेयी पहले ऐसे प्रधानमंत्रा थे, जिन्होंने 26 राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने. वह जीवन के शुरुआती दिनों में स्वयं सेवक संघ में शामिल हुए. अक्सर उनकी बहन अटल की पैंट को फेंक दिया करती थीं, क्योंकि उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और उनका परिवार नहीं चाहता था कि अटल आरएसएस की खाकी पैंट पहनें.
कहा जाता है कि अटल जी को हिंदी सिनेमा से बहुत लगाव था. उनकी पसंदीदा फिल्म ‘उमराव जान’ थी. अटल दी को खाने में गोलगप्पे बहुत पसंद थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, अटल जी गोलगप्पे वाले को ऊपर कमरे में बुलाते और गोलगप्पे में खूब सारी मिर्च मिलाकर खाते. अटल जी मांसाहारी खाने का भी शौक रखते थे और खासकर मछली खाना पसंद करते थे.
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर हर साल भारत में 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 2014 में अटल बिहारी वाजपेयी और को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. इसके बाद मोदी सरकार ने अटल जी की जयंती को भारत में सुशासन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. इसका उद्देश्य देश में पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन बनाने के लिए नागरिकों और विशेषकर छात्रों को सरकार की प्रतिबद्धता से अवगत कराना है.