धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार मिलने वाले बकाये के लिए दो वर्ष का इंतजार करना होगा. कर्मचारियों व पेंशनरों को शीघ्र बकाया राशि मिलने की आस धूमिल हो गई है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस प्रक्रिया में दो साल तक का समय लग सकता है.
शनिवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत राज्य कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का 10,000 करोड़ रुपये बकाया है. सुक्खू ने खेद जताया कि पिछली भाजपा सरकार ने सिफारिशों को लागू किया था लेकिन बजट में धन आवंटित करने में विफल रही, जिससे राज्य को बोझ से जूझना पड़ा. मुख्यमंत्री ने पिछली सरकार से विरासत में मिली खराब वित्तीय स्थिति के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की चुनौतियों को स्वीकार किया. उन्होंने अनुमान लगाया कि बहुप्रतीक्षित बकाया राशि के भुगतान से पहले अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में एक-दो साल लगेंगे. पूर्व सरकार द्वारा दी गई बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में एक से दो साल लगेंगे और इसके बाद ही एरियर का भुगतान किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू तो कर दिया, लेकिन इसके लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं किया. इससे पूर्व, विधायक राजेंद्र राणा के मूल सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायतों के पेंशनभोगी कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के अनुसार संशोधित पेंशन देने का मामला सरकार के पास विचाराधीन है. उनकी सरकार ने सत्ता संभालते ही राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली को तुरंत बहाल कर दिया, जिससे 500 से अधिक सेवानिवृत्त व्यक्तियों को लाभ हुआ.
भाजपा सदस्य डीएस ठाकुर के सवाल पर मुख्यमंत्री ने बताया कि डल्हौजी हल्के के सीमांत इलाकों में कार्यरत विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) जवानों को जम्मू-कश्मीर की तर्ज़ पर मानदेय प्रदान करने का राज्य सरकार का विचार नहीं है. विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद उनकी सरकार ने इनके मानदेय में बढ़ोतरी की है. उन्होंने आश्वासन दिया कि एक बार जब राज्य अपनी आर्थिक चुनौतियों से उबर जाएगा तो एसपीओ के मानदेय में बढ़ोतरी की जाएगी.
हिन्दुस्थान समाचार