धर्मशाला: धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शनिवार को तीन विधेयक ध्वनिमत से पारित किए गए. इनमें दो विधेयकों पर चर्चा हुई, जबकि एक विधेयक बिना चर्चा के पारित हुआ.
भारतीय स्टांप (हिमाचल प्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक 2023 व हिमाचल प्रदेश जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर संशोधित विधेयक को सदन में चर्चा के बाद पारित कर दिया गया. वहीं हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा-कचरा नियंत्रण संशोधन विधेयक 2023 को बगैर चर्चा के पारित कर दिया गया.
जल उपकर संशोधित विधेयक के तहत हिमाचल प्रदेश में अब जल उपकर आयोग का नाम बदलकर जल आयोग होगा. इस विधेयक पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हुई.
विपक्ष की ओर से रणधीर शर्मा ने इस विधेयक में लाये गए संशोधन पर सवाल खड़े किए और कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने सत्तापक्ष से इस संशोधन विधेयक को वापिस लेने की गुहार लगाई. इस पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि केंद्र सरकार में भी जल आयोग स्थापित है और राज्य के जल आयोग भी उसी तर्ज पर काम करते हैं. ऐसे में केंद्र सरकार के जल आयोग के साथ तालमेल बिठाने के लिए इस संशोधन बिल को लाया गया है. इसके बाद विधानसभा में जल उपकर संशोधित विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया.
सदन में पारित भारतीय स्टांप (हिमाचल प्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक 2023 के अनुसार पहली बार खनन पट्टे की लीज और कंपनी हस्तांतरण पर स्टांप शुल्क का भुगतान करना होगा. अब तक इस अधिनियम में कंपनियों की ओर से संपत्ति के हस्तांतरण पर स्टांप शुल्क लगाने का प्रावधान नहीं था, जिसकी वजह से कई मुकदमे सामने आते रहे हैं.
इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार की ओर से दूसरा संशोधन विधेयक लाया गया है, क्योंकि भारतीय स्टांप अधिनियम की अनुसूची-1 ए में इसके लिए प्रावधान करना आवश्यक है. साथ ही खनन पट्टे की लीज पर भी स्टांप शुल्क लगाने का प्रावधान किया है. कंपनी हस्तांतरण पर स्टांप शुल्क बाजार मूल्य का 8 प्रतिशत और खनन पट्टे पर बाजार मूल्य या वार्षिक रॉयल्टी का 6 प्रतिशत स्टांप शुल्क लगाना प्रस्तावित किया गया है.