धर्मशाला: पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि बीते वीरवार को विधान सभा में नशे को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष ने एक साथ मिलकर जो संकल्प लिया है वह काबिलेतारीफ है. उन्होंने कहा कि बहुत दिनों के बाद थोड़ी देर के लिए एक स्वस्थ लोकतंत्र देखने को मिला. लोकतंत्र केवल विरोध तंत्र नही है. लोकतंत्र पक्ष और विपक्ष का एक सहयोग तंत्र है. हिमाचल प्रदेश में नशे के प्रकोप से निपटने के लिए कल विधान सभा में पक्ष और विपक्ष ने परस्पर सहयोग कर चर्चा भी की. इसके लिए मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि नशे का प्रकोप आज सबसे बड़ा भयंकर संकट है.
नशा नई पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है. दिन प्रतिदिन नशे का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इसके लिए सरकार, विपक्ष और पूरे समाज को एक जुट होना होगा.
शांता कुमार ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि वीरवार की चर्चा में बड़े उपयोगी सुझाव आये है. दोनों पक्षों ने बड़ी सार्थक और उपयोगी चर्चा की. उसके आधार पर नया कार्यक्रम तय करके सरकार को आगे बढ़ना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में वह भी कपनी बात रखना चाहते हैं. शांता ने कहा कि आज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वर्तमान पीढ़ी संस्कार विहीन हो गई. बच्चे को सबसे पहला संस्कार परिवार में माता-पिता और दादा-दादी से मिलता था परन्तु आज मोबाईल हाथ में आन के बाद किसी बच्चे के पास न तो समय है और न ही वह माता पिता या बुजुगों के पास बैठना चाहता है. परिवार से संस्कार मिलने की परम्परा नई तकनीक और मोबाईल ने पूरी तरह से समाप्त कर दी.
शांता कुमार ने कहा कि कानून किसी हत्यारे को फांसी की सजा तो दे सकता है परन्तु कानून अच्छा काम करने का संस्कार नही दे सकता. केवल कानून से इस समस्या का समाधान नही होगा. उन्होंने कहा कि मैंने इस पर गंभीर चिन्तन किया है. संस्कार देने का यह अति महत्वपूर्ण काम अब सरकार के शिक्षा विभाग को करना होगा. हिमाचल सरकार पहल करे.
शांता ने कहा कि योग और नैतिक शिक्षा का एक पाठ्य क्रम बना कर स्कूलों में लागू करे. योग, प्राणायम और नैतिक शिक्षा द्वारा नई पीढ़ी को अच्छे संस्कार दिये जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि आर्य समाज और सनातन धर्म के कुछ स्कूलों में ऐसी व्यवस्था है. मैं भी सनातन धर्म स्कूल में पढ़ा था. मुझे गीता का ज्ञान वहीं से मिला और कुछ ऐसे संस्कार भी मिले जो जीवनभर मेरे आदर्श बन गये.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला प्रदेश बने. एक विद्वानों की समिति योग और नैतिक शिक्षा का हर कक्षा के लिए पाठ्य क्रम तय करे. उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए सरकार स्वामी रामदेव का सहयोग ले सकती है. विवेकानन्द ट्रस्ट का कायाकल्प भी सब प्रकार की सहायता करेगा.