धर्मशाला: हिमाचल में पंजीकरण के बगैर होमस्टे अथवा अन्य पर्यटन ईकाइयों को चलाने वालों पर सरकार नकेल कसेगी. पंजीकरण के बगैर इन इकाईयों को चलाने वालों पर एक लाख रुपए जुर्माना होगा. सरकार ने पर्यटन विकास एवं पंजीकरण कानून में संशोधन कर जुर्माने का प्रावधान कर दिया है. संशोधन विधेयक को वीरवार (21 दिसंबर) को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित किया गया. मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधेयक को पारण हेतु सदन में प्रस्तुत किया था.
संशोधन विधेयक के पारण के बाद अब सरकार इस बारे नियम बनाकर कानून को अधिसूचित करेगी. इसके पश्चात राज्य में केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं को तहत चल रही होम स्टे अथवा अन्य पर्यटन इकाइयों को 30 दिनों के भीतर दोबारा से पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा. आवेदन करने वाले इकाईयों को उनके मौजूदा पंजीकरण लाइसेंस की अवधि खत्म होने तक शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा. लाइसेंस की अवधि खत्म होने के बाद सरकार द्वारा तय पंजीकरण शुल्क अदा करना होगा. पर्यटन इकाइयों को पंजीकरण के तमाम दस्तावेजों व अन्य औपचारिकताओं को 90 दिनों के भीतर पूरा करना होगा.
सरकार ने साल 2002 में पर्यटन विकास एवं पंजीकरण कानून बनाया था. 2002 के कानून में पंजीकरण के बगैर चलने वाले होम स्टे संचालकों को छह माह की सजा के साथ.साथ 10 हजार रुपए की सजा का प्रावधान भी था. लेकिन सरकार ने संशोधन विधेयक में छह माह की सजा को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है. साथ ही जुर्माने की राशि 10 हजार रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए करने का प्रावधान है. कानून में संशोधन के बाद होम स्टे पर्यटन विकास निगम की स्थापना की सूची में शामिल होगा. इसके अलावा संशोधन के बाद पंजीकृत होम स्टे का लाइसेंस दो साल तक वैध माना जाएगा.