शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट में डिप्टी सीएम की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को भाजपा ने वापिस ले लिया है. हाईकोर्ट में बुधवार (20 दिसंबर) को डिप्टी सीएम और मुख्य संसदीय सचिव की नियुक्ति को असंवैधानिक बताने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. भाजपा के 11 विधायकों की ओर से दायर डिप्टी सीएम को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली गई है, वहीं सीपीएस मामले में अब दो जनवरी को सुनवाई होगी.
भाजपा की तरफ से मामले में पैरवी कर रहे वकील वीर बहादुर वर्मा ने बताया कि डिप्टी सीएम मामले में याचिका वापस ले ली गई है. पूर्व में भाजपा के 11 विधायकों ने इस मामले में अदालत में बहस भी पूरी हो गई थी. कोर्ट ने राजभवन से मुकेश अग्निहोत्री की शपथ से जुड़ा रिकॉर्ड भी कब्जे में ले लिया था और फैसला सुरक्षित रखा था.
उन्होंने कहा कि सीपीएस मामले में तीनों याचिकाकर्ताओं की तरफ से बहस पूरी हो गई है. आज सरकार ने अपना पक्ष रखना था लेकिन सरकार की तरफ से वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए. जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई में पेश होने को कहा है. उन्होंने कहा कि आज मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर के वकील ने जरूर इस मामले में बहस ली. मगर, सरकार की ओर से बहस होनी है.
गौरतलब है कि भाजपा नेता सतपाल सत्ती सहित 11 विधायकों ने उप-मुख्यमंत्री समेत सी.पी.एस. की नियुक्ति को चुनौती दी है. याचिका में अर्की विधानसभा क्षेत्र से सी.पी.एस. संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. याचिका में उप मुख्यमंत्री को कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा लेने से रोकने के आदेशों की मांग के साथ-साथ इसकी एवज में मिलने वाले अतिरिक्त वेतन को वसूलने की मांग भी की है.
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने अपने आवेदन में यह दलील दी थी कि यह याचिका पूर्व भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष द्वारा दायर की गई है जिसमें उनको उप मुख्यमंत्री होने के नाते प्रतिवादी बनाते हुए उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई है. उनके अनुसार सात राज्यों में हिमाचल प्रदेश की तरह उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं और उन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. सर्वोच्च न्यायालय व हाईकोर्ट के निर्णयों के मुताबिक उनकी नियुक्ति कानून के दायरे में आती है.