धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में स्टोन क्रशरों को बंद करने का मुद्दा बुधवार (20 दिसंबर) को विधानसभा के सत्र में प्रश्नकाल के दौरान प्रमुखता से गूंजा. इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हुई. इस मुद्दे पर मंत्री के बयान से नाखुश विपक्षी दल भाजपा ने सदन से वाकआउट भी किया.
बुधवार को सदन में स्टोन क्रशरों को बंद करने पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के जवाब से विपक्ष ने नाखुशी जाहिर की. विपक्ष के सवालों के बीच सदन के नेता व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्टोन क्रशरों को बंद करने की वजह सदन को बताई. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य सरकार खनन से पांच करोड़ का राजस्व जुटाने पर विचार कर रही है. सुक्खू ने कहा कि वर्तमान खनन नीति से सरकार को राजस्व घाटा हो रहा है लिहाजा सरकार इस में सुधार करने पर विचार कर रही है. सुक्खू ने कहा कि व्यास बेसिन में बरसात के दौरान 128 क्रशर बंद करने का फ़ैसला किया गया, जिससे सरकार को कोई नुक़सान नहीं हुआ है, क्योंकि 15 सितंबर तक क्रशर बंद करना एक सामान्य प्रक्रिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक रोड़ी व रेत के दाम बढ़ने का प्रश्न है तो सरकार रोड़ी रेत के दामों को निर्माण की कीमत से जोड़ने पर भी विचार कर रही है. इससे पूर्व विपिन सिंह परमार व बिक्रम ठाकुर ने सरकार के लिए गए फ़ैसले को जन विरोधी बताया और कहा कि सरकार के इस निर्णय से जनता को महंगे दामों पर रोड़ी रेत ख़रीदनी पड़ी और 1600 लोगों ने रोज़गार भी खोया है.
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने मूल सवाल के जवाब में कहा कि प्रदेश में भारी बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए ब्यास बेसिन व इसकी सहायक नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में स्टोन क्रशर की जांच के लिए आठ सदस्यीय समिति गठित की गई है. उन्होंने कहा कि हर वर्ष बरसात के दौरान जुलाई से 15 सितंबर तक नदी व नालों में खनन की अनुमति नहीं होती और खनन कार्य बंद रहता है. 15 सितंबर के बाद खनन गतिविधियों को पुनः बहाल किया गया और मात्र स्टोन क्रशरों का संचालन ही बंद था. ऐसे में इस दौरान सरकार को किसी भी तरह के राजस्व का नुकसान नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि स्टोन क्रशरों में काम करने वाले ज्यादातर श्रमिक बाहरी राज्यों से सम्बंधित होते हैं, कुछ ही हिमाचली श्रमिक होते हैं और जैसे ही स्टोन क्रशरों का संचालन शुरू होगा, तो ये श्रमिक भी पुनः कार्यरत हो जाएंगे.
सदन में करीब 30 मिनट तक इस विषय पर सवाल-जवाब का दौर चला. इसके बाद दौरान विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने जैसे ही अगला सवाल पूछने की घोषणा की तो विपक्षी सदस्य भड़क गए और उन्होंने सरकार पर स्टोन क्रशर बंद करने की अधूरी जानकारी देने के आरोप लगाया. विपक्षी सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे और बाद में उन्होंने सदन से वाकआउट कर दिया.