धर्मशाला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ऊर्जा नीति में संशोधन करेगी. इसके साथ आगामी साल दिसंबर 2024 तक 500 मेगावाट सौर ऊर्जा के दोहन का सरकार का लक्ष्य है.
मुख्यमंत्री मंगलवार (19 दिसंबर) को विधानसभा में कांग्रेस सदस्य चैतन्य शर्मा के प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर दे रहे थे. उन्होंने कहा कि सर्दियों में हिमाचल पड़ोसी राज्यों से महंगी दरों पर बिजली खरीदता है. सौर ऊर्जा के उत्पादन का तय लक्ष्य हासिल करके सरकार बिजली की खरीद पर होने वाले सालाना एक हजार करोड़ रुपये की बचत करेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी चार माह में पेखुवाला में प्रदेश का सबसे बड़ा 32 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित होगा. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य प्रदेश को 2026 तक ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का है. इस मकसद से सौर ऊर्जा का तेजी से दोहन किया जा रहा है. साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद पर सरकार 50 फीसदी उपदान दे रही है.
उन्होंने कहा कि राजीव गांधी स्टार्टअप योजना के तहत ई-टैक्सी खरीदने के लिए युवाओं को 50 फीसदी उपदान दिया जाएगा. योजना के तहत अब तक 582 युवाओं ने वाहन खरीदने के लिए आवेदन किया है. उन्होंने कहा कि सरकार फासफोरस एनर्जी के दोहन की दिशा में भी आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि इस मकसद से एक निजी कंपनी के साथ करार किया गया है. कंपनी 50 करोड़ रुपये की लागत से एक प्रोजेक्ट हिमाचल में लगा रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर जल्द आमंत्रित किए जाएंगे.
चर्चा के उत्तर के दौरान मुख्यमंत्री ने भाजपा पर प्रदेश के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने लुहरी-सुन्नी व धौलासिद्ध प्रोजेक्टों को आसान शर्तों पर एसजेवीएन को दे दिया. लेकिन अब सरकार इन प्रोजेक्टों को वापस लेने या फिर अपनी शर्तों पर ही एसजेवीएन को सौंपेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल में वाटर सेस की वसूली में भी रोड़ा अटकाया.
उन्होंने कहा कि हिमाचल भाजपा के नेताओं को इस मुद्दे पर दिल्ली में बात करनी चाहिए. केंद्रीय सरकार पर मुख्यमंत्री की टिप्पणी से विपक्ष के सदस्य बिफर गए. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में कहा कि वाटर सेस के मुद्दे पर मुख्यमंत्री सदन में गलत बयानबाजी कर रहे हैं. उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी केंद्रीय उपकरणों से जल उपकर की वसूली नहीं हो रही. केंद्र सरकार का पत्र सभी राज्यों के लिए हैं, केवल मात्र हिमाचल के लिए नहीं है.
इससे पूर्व, कांग्रेस सदस्य चैतन्य शर्मा ने नियम 63 के तहत इस मामले को उठाते हुए कहा कि हिमाचल को हरित राज्य बनाने और नवीकरण ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने जो दृष्टिकोण पेश किया, उससे इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए योजना के रूप में जमीन पर भी उतारा है. उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार एक्शन वाली सरकार है और बेरोजगारों के लिए आरंभ की गई ई-टैक्सी योजना इसका प्रमाण है. उन्होंने कहा कि आज युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है और इसके लिए ई टैक्सी योजना का और विस्तार किया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि युवाओं को देश व दुनिया में इस क्षेत्र में हो रहे इनोवेशन से परिचित करवाने के लिए राज्य के शिक्षण संस्थानों खासकर विश्वविद्यालयों का विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ संबद्धता जरूरी है.
विधायक होशियार सिंह ने प्रदेश से लकड़ी के निर्यात को पूरी तरह बंद करने और इसे प्रदेश में बायोमास के रूप में प्रयोग करने पर जोर दिया. उन्होंने प्रदेश में जिओ-थर्मल, बायोगैस और विंड पावर का भी बड़े पैमाने पर दोहन करने की जरूरत बताई. विधायक अनिल शर्मा ने कहा कि प्रदेश में बंजर पड़ी जमीन पर बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि युवाओं को घर-द्वार पर रोजगार मिले और बिजली उत्पादन भी बढ़े.
कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में इतना निर्भर होने की जरूरत है ताकि सर्दियों में राज्य को बाहर से बिजली खरीदने की जरूरत न पड़े. विधायक त्रिलोक जम्वाल ने सरकार द्वारा 800 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट रद्द करने का विरोध किया तथा कहा कि जिन लोगों ने वर्षों पहले इन प्रोजेक्टों के लिए एमओयू हस्ताक्षर किए हैं, उन पर वाटर सेस लगाना गलत है. उन्होंने कहा कि जब तक प्रदेश में अनिश्चितता का माहौल बना रहेगा, तब तक कोई भी प्रदेश में निवेश करना नहीं चाहेगा.
उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों की ऊंची कीमतों का भी विरोध किया और कहा कि हमें कोई भी नीति बनाने से पहले आधारभूत ढांचा सृजित करना चाहिए. विधायक जेआर कटवाल ने कहा कि राज्य में नवीकरणीय और हरित ऊर्जा के लिए बनी नीतियों में कमियां रही हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में हाईडल प्रोजेक्टों को बढ़ावा देकर ही हिमाचल को हरित राज्य बनाया जा सकता है.