संसद के शीतकालीन सत्र से सांसदों के निलंबन की कार्रवाई लगातार जारी है. आज लोकसभा से 49 सांसदों को सस्पेंड किया गया है. इसके साथ ही संसद से अब तक 141 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है.
सोमवार को संसद के दोनों सदनों से कुल मिलाकर 92 सांसदों को निलंबित किया था. इनमें से 46 लोकसभा से और 46 राज्यसभा से थे. अगर दोनों सदनों सांसदों के निलंबन की बात की जाए तो लोकसभा से अब तक 95 जबकि राज्यसभा से 46 सांसदों को संसद से बाहर का रास्ता दिखाया गया है.
आज यानी मंगलवार को जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया, उनमें फारूक अब्दुल्ला, सुप्रिया सुले, शशि थरूर, डिंपल यादव, ज्योत्सना महंत समेत कई नेता शामिल हैं. सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने संसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह संसद के अंदर अराजकता के अलावा और कुछ नहीं है. वहीं टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने संसद परिसर में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर अभद्रता की उन्होंने अध्यक्ष की नकल उतारी और उनका मजाक बनाया.
विपक्षी सांसदों के निलंबन पर सपा सांसद डिंपल यादव ने इसे सरकार की विफलता करार दिया. वहीं निलंबित विपक्षी सांसदों ने संसद के मकर द्वार पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. विपक्षी सांसदों के निलंबन के चलते संसद के दोनों सदनों की कार्रवाई लगातार ठप रही है. दोनों सदनों को कई बार स्थगित करना पड़ा.
यह पहली बार नहीं है जब इतनी बड़ी संख्या में सांसदों का निलंबन हुआ हो. इससे पहले 15 मार्च 1989 को 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. बलराम जाखड़ लोक सभा अध्यक्ष और थंबी दुरै डिप्टी स्पीकर थे. तब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के जांच के लिए बनाए गए ठक्कर आयोग की रिपोर्ट लोक सभा में रखी गई थी.
इसमें इंदिरा गांधी के निजी सहायक रहे आर के धवन की भूमिका के बारे में टिप्पणियां थीं. धवन उस समय राजीव गांधी के साथ थे और विपक्ष ने उनकी भूमिका की जांच की मांग की थी. भारी हंगामे के बाद विपक्ष के 58 सांसदों को पहले निलंबित किया गया, जिनमें वी पी सिंह, वी सी शुक्ला, आरिफ मोहम्मद खान, इंद्रजीत गुप्ता, गीता मुखर्जी, जयपाल रेड्डी, डी बी पाटिल आदि शामिल थे.
इसके बाद पांच अन्य सांसदों जिनमें सोमनाथ चटर्जी, सैफुद्दीन चौधरी, के पी उन्नीकृष्णन आदि शामिल थे, उनके निलंबन के लिए अलग से प्रस्ताव लाया गया. इस तरह कुल 63 सांसदों को तीन दिनों 15, 16 और 17 मार्च 1989 के लिए निलंबित किया गया था. यह कार्रवाई नियम 374 के तहत की गई थी लेकिन अगले ही दिन सांसदों ने स्पीकर से माफी मांग ली थी, जिसके बाद उनका निलंबन वापस ले लिया गया था.