धर्मशाला। धार्मिक आस्था की प्रतीक डल झील का पानी सोमवार (11 दिसंबर) रात से एकाएक सूख गया जिससे बड़ी संख्या में मछलियां तड़पकर मर गईं. जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि पानी के अचानक से सूख जाने के पीछे शरारती तत्वों द्वारा सफाई करने के लिए बनाए गए वॉल्वों को खोल देने से यह सब हुआ. शरारती तत्वों की इस नापाक हरकत के चलते अचानक से ही डल झील का पानी खत्म हो गया, जिससे मछलियां तड़पकर मरने लगी.
पहले एकदम से क्षेत्र में एक बार फिर से झील में रिसाव की खबरों ने हवा पकड़ ली. इसके बाद प्रशासन-आईपीएच व स्थानीय लोगों की जांच में सच्चाई सामने आई है. जिसमें स्प्ष्ट हुआ कि इस बार रिसाव की बजाय किसी ने चोरी-छिपे झील के वॉल्व खोल दिए, और सारा पानी बाहर निकल गया. हालांकि इस बारे में जानकारी मिलने के बाद प्रशासन-जल शक्ति विभाग ने मछलियों को बचाने के लिए झील में पानी डाल दिया. इसके साथ ही खोले गए वॉल्व को बंद कर दिया गया है.
वहीं एसडीएम की अध्यक्षता में जांच भी शुरू कर दी गई है, जिसमें आरोपियों की तलाश की जाएगी. वहीं धार्मिक आस्था की केंद्र डल झील में बड़ी शरारत से क्षेत्र में लोग आक्रोशित हो गए हैं. इसमें अहम बात यह है कि रिसाव को रोकने के लिए जल शक्ति विभाग की ओर से राजयस्थान से वैटोनाईट के बैग भी डाले गए हैं, जिससे काफी हद तक रिसाव रोकने में मदद मिली है. लेकिन अब शरारती तत्वों की ओर से की जा रही शरारतों ने एक बार फिर धार्मिक आस्था को नुकसान पहुंचाने के साथ ही झील की मछलियों को भी मृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
धौलाधार की तलहटी में नड्डी स्थित ऐतिहासिक एवं धार्मिक आस्था की प्रतीक डल झील में मंगलवार सुबह झील की स्थिति यह हो गई है कि झील का लगभग सारा पानी सूख गया. जिसके चलते मछलियां भी तड़प तड़प कर मर गई, जबकि बहुत कम पानी में तड़पने लगी. इससे पहले भी झील रिसाव के कारण कई बार सूख चुकी है, लेकिन इस बार शरारती तत्वों की हरकत से मानवता भी शर्मशार हुई है. हालांकि इससे पहले 2017, 2019, 2020 और नवंबर 2021 में भी झील में रिसाव हो चुका है. नवंबर 2021 और 2023 में हुए पानी के रिसाव के कारण यहां की मछलियों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था, जिन्हें झील में दोबारा नहीं डाला गया था. वहीं इस वर्ष ही रिसाव के बाद जल शक्ति विभाग ने विभिन्न विशेषज्ञों के परामर्श के बाद राजस्थान से स्पेशल वैटोनाईट मंगवाकर झील में डाला गया है. जिससे काफी हद तक अब रिसाव को रोकने में मदद मिली है.
मणिमहेश के बाद डल झील दूसरी ऐसी पवित्र झील है, जहां हर वर्ष राधाष्टमी के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं. इसलिए इसे मिनी मणिमहेश के नाम से भी जाना जाता है. मिनी मणिमहेश यानी मैकलोड़गंज स्थित डल झील की पवित्रता व मान्यता इससे भी है क्योंकि यहां पर राधा अष्टमी को स्नान करने से मणिमहेश न्हौण जैसा पुण्य मिलता है.
जल शक्ति विभाग के अधिशाषी अभियंता संदीप चौधरी ने बताया कि डल झील में लगाए गए वोल्व को किसी शरारती तत्व ने खोल दिया है जिसके चलते डल झील का सारा पानी निकल गया है. वोल्व खोलने की सूचना मंदिर के पुजारी से मिली थी, जिसे अब बंद कर दिया गया है. डल झील में मछलियों को बचाने के लिए विभाग की ओर से पानी डाला गया है. इसके साथ ही मामला एसडीएम के ध्यानार्थ भी लाया गया है.
उधर एसडीएम धर्मशाला धर्मेश रामोत्रा ने बताया कि झील में पानी डाल दिया गया है. झील के वॉल्व को खोलने के मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं, आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.