शिमला। हिमाचल प्रदेश में पहली बार पुलिस बैंड में महिला बिगुलर्स नजर आएंगी। अब गार्ड ऑफ ऑनर और अन्य समारोहों में महिला पुलिस बिगुलर्स शामिल होंगी। हिमाचल प्रदेश पुलिस बल के इतिहास में पहली महिला बिगुलर्स को शामिल करने की घोषणा की है। वर्तमान में तीन महिला कांस्टेबल शिवानी, श्वेता और नीशू (5वीं आईआरबीएन बस्सी) हिमाचल प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय डरोह में बेसिक बिगुलर कोर्स कर रही हैं। कई अन्य महिला कांस्टेबल इस कोर्स में रुचि दिखा रही हैं और जल्द ही उन्हें भी शामिल होने की उम्मीद है। पुलिस मुख्यालय के एक प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी।
प्रवक्ता ने कहा कि बिगुल बजाने के लिए फेफड़ों की बहुत अधिक शक्ति, गहरी सांस, शारीरिक एवं मानसिक नियंत्रण की आवश्यकता होती है। बिगुल एक महत्वपूर्ण सैन्य उपकरण है, जहां बिगुल कोल का उपयोग शिविर की दैनिक दिनचर्या को इंगित करने के लिए किया जाता है। ऐतिहासिक रूप से युद्ध के दौरान अधिकारियों से सैनिकों तक निर्देश प्रसारित करने के लिए सेना में बिगुल का उपयोग किया जाता था। बिगुल का उपयोग लीडर्स/अधिकारियों को इकट्ठा करने और शिविरों में मार्च करने का आदेश देने के लिए किया जाता था।
प्रवक्ता ने बताया कि बिगुल बजाने वाले पुलिस बल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि उनकी बिगुल ध्वनि समारोहों, परेडों और अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों के दौरान महत्वपूर्ण संकेत के रूप में काम करती है। उनकी मधुर धुनें सम्मान और परंपरा की भावना पैदा करती हैं, जिससे इन अवसरों में गंभीरता और भव्यता का स्पर्श जुड़ जाता है। जब सूर्योदय के समय राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज उतारा जाता है तो बिगुल बजाना जरूरी है।
वहीं पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने बताया कि पुलिस बल में महिला बिगुलर्स को शामिल करना न केवल विविधता के प्रति विभाग के समर्पण को उजागर करता है, बल्कि पुलिस बल में इच्छुक महिलाओं के लिए एक प्रेरणा के रूप में भी काम करता है। पहली महिला बिगुलर्स के साथ विभाग ने लैंगिक रुढ़िवादिता को तोड़ने और एक समावेशी संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।