शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने हिमाचल प्रदेश में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताई है. उन्होंने सडक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कानून में कठोर सजा का प्रावधान करने की जरूरत बताई है.
शान्ता कुमार ने मंगलवार (05 दिसंबर) को एक बयान में कहा हिमाचल प्रदेश में सड़क दुर्घटना के चलते प्रतिदिन लगभग तीन मौत होती हैं. प्रतिमाह लगभग 200 दुर्घटना और इनके चलते साल में 3 हजार से अधिक मौत. इसमें पैदल चलने वाले लोग भी तेज रफ्तार गाडियों की चपेट में आकर मारे जाते हैं.
शान्ता कुमारन ने कहा कि बीते कल हिमाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर हुई सड़क दुर्घटनाओं में 15 लोगों की मौत और 11 घायल की खबर पढ़कर वे हिल गए. राज्य में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. नेशनल क्राईम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 1 लाख 68 हजार 491 लोगों की मौतें हुईं.इससे पहले 2021 में देश भर में सड़क दुर्घटनाओं में 1 लाख 50 हजार लोगों की मौत हुई. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक 90 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं लापरवाही या मानवीय भूल के कारण होती हैं.
शान्ता कुमार ने कहा कि कुछ सड़क दुर्घटनाओं से दिल दहल जाता है. करवाचौथ पर इस साल दुर्घटना हुई एक व्यक्ति अपना जन्मदिन मनाने अपनी मां के पास जा रहा था, दुर्घटना में मारा गया. राखी के दिन एक बहिन अपने भाई को राखी बांधने जा रही थी, दुर्घटना हुई, भाई को राखी नहीं, अपनी बहिन की मृत्यु का समाचार मिला.
शान्ता कुमार ने राज्य सरकार से कहा है कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए. उनका कहना है कि कठोर सजा के प्रावधान के साथ कानून का सख्ती से अनुपालना करने से बढ़ती दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है. 80 प्रतिशत दुर्घटनाएं तेज रफ्तार, जल्दबाजी और लापरवाही के चलते होती हैं. ऐसा करने वालों को सजा का कोई भी डर नहीं है. तेज रफ्तार वाले यदि पकड़े जाते हैं तो केवल 500 रू0 जुर्माना होता है. उन्होंने कहा कि तेज रफ्तार के कारण होनी वाली दुर्घटनाओं को निश्चित रूप से रोका जा सकता है. तेज रफतार से चलने वालो को पहली बार कम से कम 25,000 रू0 का जुर्माना और छ. महीने के लिए लाईसैंस कैंसिल करने की कठोर सजा हो. जिस दिन सरकार इस सजा का नियम बनाकर इसकी घोषणा करेगी, उसी दिन से दुर्घटनाएं रुकनी शुरू हो जाएंगी.