शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा आज सामचार पढ कर दिल दहल गया. हिमाचल में सड़क दुर्घटनानों में 15 लोगों की मौत हुई और 11 घायल हो गये. सड़क दुर्घनाएं लगातार बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा नैशनल क्राईम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में प्रति घण्टा 46 सड़क दुर्घटनाओं में एक लाख 60 हजार लोगों की मौत हुई और 3 लाख 80 हजार घायल हुए. 70 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण शराब और तेज रफतार था.
शान्ता कुमार ने मंगलवार को एक बयान में कहा हिमाचल प्रदेश में प्रतिदिन लगभग तीन मौतें होती है, साल में 3 हजार, प्रतिमास 200 दुर्घटनाएं, और हजारों मौते. पैदल चलने वाले लोग भी तेज रफतार की गाडियों के कारण बढ़ी संख्या में मारे जाते हैं.
उन्होंने कहा भारत सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट केे अनुसार 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में एक लाख 80 हजार लोगों की मौत हुई. 80 प्रतिशत दुर्घटनाएं तेज रफतार के कारण हुईं . एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक 90 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती है.
शान्ता कुमार ने कहा कुछ सड़क दुर्घटनाओं से दिल दहल जाता है. करवाचौथ पर इस साल दुर्घटना हुई एक व्यक्ति अपना जन्मदिन मनाने अपनी मां के पास जा रहा था, दुर्घटना में मारा गया. राखी के दिन एक बहिन अपने भाई को राखी पहनाने जा रही थी. दुर्घटना हुई, भाई को राखी नही मिली अपनी बहिन की मृत्यु का समाचार मिला.
शान्ता कुमार ने सरकार से विशेष आग्रह किया है कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष कठोर कदम उठाये. एक बात याद रखें कि कानून का पालन कठोर सजा के डर के बिना नही हो सकता. 80 प्रतिशत दुर्घटनाें का कारण तेज रफतार जल्दी और जल्दबाजी होता है. कारण एक है कि ऐसा करने वालो को सजा का कोई भी डर नही है. तेज रफतार से यदि पकड़ेजाते है तो केवल 500 रू0 जुर्माना होता है.
उन्होंने कहा तेज रफतार के कारण होनी वाली दुर्घटनाओं को निष्चित रूप से रोका जा सकता है. पुलिस आधुनिक यन्त्रों का प्रयोग करे. तेज रफतार से चलने वालो को पहली बार कम से कम 25,000 रू0 का जुर्माना और छ. महीने के लिए लाईसैंस कैंसल करने की कठोर सजा हो. जिस दिन सरकार इस सजा का नियम बना कर इसकी घोषणा करेगी केवल उसी से दुर्घटनाएं रूकनी शुरू हो जाएगी. दुबई जैसे कुछ अरब देशों में अपराध बहुत कम होते है क्योंकि वहां अपराध पर बड़ी कठोर सजा दी जाती है.
उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से विशेष आग्रह किया है कि इस विषय पर गम्भीरता से विचार करें. कठोर सजा के डर से हजारों जीवन बचाये जा सकते हैं.