हमीरपुर। 20वीं शताब्दी के प्रथम-दशक के प्रारम्भ में ही जिला हमीरपुर के नादौन-खण्ड के अन्तर्गत गांव रंघाड़ (भूम्पल) से संबद्ध रखने वाले सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी, स्वाधीनता-सैनानी व उत्कृष्ट-साहित्यकार यशपाल की 120 वीं जयंती के उपलक्ष्य पर जिला हमीरपुर के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने यशपाल साहित्य प्रतिष्ठान नादौन में जयंती समारोह आयोजित किया। इस समारोह की अध्यक्षता यशपाल साहित्य परिषद् के वर्तमान अध्यक्ष प्रो. रत्न चन्द शर्मा के द्वारा की गई।
बता दें कि 3 दिसम्बर, 1903 को फिरोजपुर छावनी के एक खत्री परिवार के घर में जन्मे क्रांतिकारी यशपाल का भूंपल नादौन से विशेष सम्बंध रहा है, इसी कारण यशपाल स्मारक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सुधियाल भूंपल व यशपाल साहित्य प्रतिष्ठान नादौन की स्थापना हुई जिसमें यशपाल के स्मरण में समय समय पर साहित्यिक-पक्ष, साहित्यिक-ग्रंथों का संग्रहण, संरक्षण, संवर्धन तथा जनहित में साहित्यिक-गतिविधियों का सञ्चालन किया जाता है।
यशपाल की 120 वीं जयंती के उपलक्ष्य पर पर जिला के विभिन्न स्थानों से आए हुए कवियों, लेखकों व गायकों ने कविताओं, भाषणों, गज़ल व गीतों के माध्यम से यशपाल की यशोगाथा का भव्य गुणगान किया। उन्होंने यशपाल के जीवन सिद्धांतों, साहित्यिक ग्रन्थों, उपन्यासों तथा क्रांतिकारी जीवन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। इस उपलक्ष्य पर आयोजित कवि सम्मेलन में पहाड़ी कविताओं की भरमार रही, जो कि पहाड़ी बोली के लिए संजीवनी का कार्य करती है।
इस अवसर पर प्रो. रत्नचंद शर्मा ने बताया कि यशपाल का भूंपल और नादौन क्षेत्र से घनिष्ठ संबंध रहा है तथा इस समय भी ऐसे कई लोग विद्यमान हैं, जिन्होंने उनका साक्षात्कार किया था। ऐसी महान विभूतियों को उत्पन्न करने वाली नादौन की भूमि पर जन्म होना ही सौभाग्य की बात है।