शिमला। पूर्व में अराजपत्रित संघ के अध्यक्ष रहे कर्मचारी नेता गोपाल दास वर्मा ने सुक्खू सरकार के एक साल के कार्यकाल को निराशाजनक करार दिया है। सरकार एक तरफ सरकार आर्थिक तंगी का रोना रो रही है तो दूसरी तरफ प्रशासनिक ट्रिब्यूनल खोल दिया जिस पर सालाना 28 करोड़ से ज्यादा खर्च होगा।
उन्होंने शनिवार को कहा कि यह कर्मचारियों की मांग पर नहीं बल्कि अपने चहेतों को फायदे के लिए खोला गया है। सरकार ओपीएस की गारंटी देने की बात कह रही है लेकिन कर्मचारियों के पेंशन भत्ते दिए नहीं जा रहे हैं। यह सरकार सात जन्मों में भी गारंटिया पूरी नहीं कर पाएगी। आज कर्मचारी सरकार के दबाव में हैं।
उन्होंने कहा कि यह सरकार ओल्ड पेंशन देने का दावा कर रही है लेकिन कर्मचारियों को डीए और अन्य देनदारियां देने को हैं। सरकार का तीन गारंटियों को पूरा करने का दावा खोखला है। उन्होंने कहा कि पेंशनर अपनी मांगों को लेकर सम्मेलन कर सरकार के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी।
उन्होंने कहा कि पेंशनर 18 दिसंबर को सम्मेलन कर सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करेगे। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने कोविड जैसी आपदा के बाद भी कर्मचारियों की सभी मांगे पूरी की लेकिन यह सरकार आपदा का रोना रो रही हैं। जिसे कर्मचारी सहन नही करेंगे।