धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार को लेकर मिलकर काम करेंगे। इसी दिशा में दोनों संस्थानों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं। दोनों संस्थान शिक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का प्रयास करेंगे। इसमें मुख्य रूप से उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) का प्रभावी कार्यान्वयन शामिल है।
समझौता ज्ञापन के अनुसार विभिन्न शैक्षणिक विषयों में अनुसंधान और शिक्षा, परियोजनाओं और कार्यक्रमों की सुविधा रहेगी। वहीं छात्रों और संकाय विकास, संकायों, अनुसंधान विद्वानों और पीजी छात्रों का आदान-प्रदान, ज्ञान और अकादमिक अनुसंधान संसाधनों को साझा करना और संश्लेषण के लिए सहयोग रहेगा। समय-समय पर परस्पर पहचाने गए विषयों पर ज्ञान, कार्यशालाओं, सम्मेलनों, बैठकों, प्रशिक्षणों, क्षमता निर्माण और साक्षरता का पारस्परिक संगठन और हितधारकों/समाज के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
वहीं समझौता ज्ञापन की समयावधि के दौरान शोध के परिणामों को संयुक्त रूप से पेटेंट कराया जाएगा और पेटेंट के लाभ समान रूप से साझा किए जाएंगे।
उधर विवि के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि अभी हाल ही में नई दिल्ली में कुलाध्यक्ष सम्मेलन-2023 के दौरान विभिन्न कुलपतियों के बीच चर्चा हुई। जिसमें विश्वविद्यालयों ने शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में सहयोग को बढ़ावा देने की अत्यधिक आवश्यकता को दोहराया गया। एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय और केंद्रीय विश्वविद्यालय के बीच यह समझौता ज्ञापन हिमाचल प्रदेश की क्षमता और उत्कृष्टता को और बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ किया जा रहा है। केंद्रीय विवि एनईपी 2020 को लागू करने में देश के शिक्षण संस्थानों में अग्रिम है। दोनों संस्थानों में उच्च शिक्षा के साथ प्राथमिकता वाले विषयों पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के मौके पर ऑनलाइन-ऑफलाइन मोड के तहत उक्त समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, एचएनबीजीयू की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल, जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल मौजूद रहे। वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला से कुलसचिव प्रो. विशाल सूद और अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. प्रदीप कुमार ने ऑनलाइन इसमें भाग लिया।