मंडी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर रंगकर्म को समर्पित संस्था आकार थिएटर सोसायटी की ओर से भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से तुंगल क्षेत्र के मशहूर देवता देव बूढ़ा बणोगी के मंदिर परिसर में दो दिवसीय रंगोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय कलाकारों के अलावा प्रदेश की अन्य संस्थाओं की ओर से नाटकों का मंचन किया गया। रंगोत्सव की प्रथम संध्या में दो नाटकों का मंचन किया गया।
पहला नाटक रंगप्रिया थिएटर सोसायटी सोलन की ओर से महाकवि बोधायन द्वारा रचित नाटक भगवदज्जकुम और आकार थिएटर सोसायटी की ओर से दूसरी औरत नाटक का मंचन किया गया। भगवदज्जकुम नाटक सातवीं शताब्दी के लोकप्रिय सस्ंकृत प्रहसन पर आधारित है। जिसका हिंदी अनुवाद नेमिचद्रं जैन द्वारा किया गया। जबकि नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन हितेश भार्गव द्वारा किया गया। नाटक में दार्शर्निक तथा धार्मिक अवधारणाओं के द्वारा दिखाया गया कि जीवित प्राणी का गैर-भौतिक सार जैविक मौत के बाद एक अलग भौतिक रूप या शरीर में एक नया जीवन शुरू करता है। पुनर्जन्म से जुड़ी मान्यताओं में मनुष्य की आत्मा अमर है और भौतिक शरीर के नष्ट होने के बाद नष्ट नहीं होती है। मौत के बाद भी आत्मा अपनी अमरता को जारी रखने के लिए केवल एक नवजात शिशु या एक जानवर में परिवर्तित हो जाती है।
नाटक में दिखाया गया है कि कैसे एक साधु और एक वैश्या की आत्माएं बदल जाती है और कैसे साधु एक वैश्या की तरह व्यवहार करना शुरू कर देता है और इसके विपरीत जैसा मन वैसी वाणी और शरीर भी वैसा ही आचरण करता है। नाटक की कहानी जीवन के कुछ गंभीर सवालों का जवाब सरलता से देती है। नाटक में परिव्राजक की भूमिका में निखिल भारती, शांडिल्य की भूमिका में हरीश कुमार, वसंत सेना की भूमिका में भारती, मां की भूमिका में छाया, यमदतू की भूमिका में अश्वनी, सत्रूधार निहाल, वैद रोहित, रामिलक संजंय, सखियां अनामिका, अंजलि तथा सरोज के अभिनय ने प्रभावित किया। नाटक में निर्देशन लेख राम गंधर्व , वेशभूषा हरीश, रोहि त अंजलि, रूप सज्जा अनामिकाव मनीषा, मंच सामग्री निहाल, छाया व अश्वनी ने किया। जबकि रंग संध्या की दूसरी प्रस्तुति आकार थिएटर सोसाइटी की ओर से रूसी लेखक अंतोन चेखव की कहानी पर आधारित बेसहारा औरत थी।
इस नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन दीप कुमार ने किया था। मंडयाली की फोक थियेटर शैली बांठड़ा पर आधारित इस नाटक ने लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। नाटक की कहानी एक परेशान और दर्द से कराहते बैंक मैनेजर से शरूु होती है। जहां रुकमणि नाम की औरत अपने पति के पैसे वापिस लेने पहुंचती है और बैंक मैनेजर की नाक में दम कर देती है। रुक्मणि ज़ोरदार ढंग से अपने तथ्य प्रस्ततु करती है और अंत में अपने पति के पैसे वसलू करके ही दम लेती है।
नाटक में रुक्मणि की भूमिका में दीप कुमार, बैंक मैनेजर की भूमिका में वेद कुमार और बैंक सहयोगी के रूप में कश्मीर सिंह ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया। वहीं रंगोत्सव की दूसरी संध्या में द लिटिल थिएटर ग्रपु क्लब शिमला के कलाकारों की ओर से नाटक अंधाधुंध नज़रिया और सोसाइटी फॉर इ पावरमेंट ऑफ़ कल्चर डवेल्मेंट मंडी की ओर से नशा करता नाश पेश किया गया। नाटक अंधाधुंध नजरिया के लेखक चंद्रशेखर फांसलकर तथा निर्देशक राजीव शर्मा थे। नाटक की कथावस्तु चार वि भिन्न प्रांतों के व्यक्तियों एसएसएस, एमएस जी, एलएल और एबीसी जो कि चारों अंधे हैं के इर्द गिर्द बुनी गई। दूसरे नाटक नशा करता नाश का लेखन और निर्देशन वेद कुमार द्वारा किया गया।