राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि मेले तथा उत्सव प्रदेश की समृद्ध संस्कृति के प्रतीक हैं। हमें अपनी इस संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रयास करने होंगे। खुशहाली के लिए आगे बढ़ने के साथ-साथ संस्कृति का संरक्षण भी आवश्यक है।
राज्यपाल शुक्ल सोमवार को जिला सिरमौर के अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर गवर्नर की पत्नी और राज्य रेडक्रॉस अस्पताल कल्याण अनुभाग की अध्यक्ष जानकी शुक्ल भी उपस्थित थीं। राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा, संस्कृति तथा खुशहाली के लिए जाना जाता है, लेकिन नशे की प्रवृत्ति राज्य की समृद्धि पर ग्रहण लगा रही है। उन्होंने लोगों से नशे के खिलाफ मिल-जुल कर कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नशे का अंत केवल मौत है तथा इस बुराई से प्रदेश को बचाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सिरमौर कृषि तथा बागवानी क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने जिले को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने पर बल दिया। उन्होंने जिला प्रशासन को रेणुकाजी झील के सौंदर्यीकरण के लिए कहा। शुक्ल ने कहा कि रेणुका जी मेला माता रेणुका जी के प्रति भगवान परशुराम की श्रद्धा तथा भक्ति का प्रतीक है तथा यह मेला भारतीय समाज के उच्च मूल्यों को संरक्षित करने में अहम् भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि मेले तथा उत्सव प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के द्योतक हैं और इन्हें हर हाल में संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने मेले के सफल आयोजन में सभी के योगदान के लिए बधाई दी तथा कहा कि माता रेणुका का अपना एक धार्मिक महत्व है। इस मेले में प्रदेश तथा अन्य राज्यों से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
इससे पहले राज्यपाल ने भगवान परशुरामजी मंदिर तथा माता रेणुकाजी मंदिर में पूजा-अर्चना की और देव विदाई शोभा यात्रा में भी भाग लिया। राज्यपाल ने पदमश्री विद्या नंद सरैक के मार्गदर्शन में 1500 से अधिक स्थानीय महिला कलाकारों के प्रदर्शित सिरमौरी नाटी का आनंद लिया। उन्होंने सरकारी विभागों तथा गैर सरकारी संस्थानों की लगाई गई प्रदर्शनियों का भी अवलोकन किया। उन्होंने प्रदर्शनियों में गहरी रूचि दिखाई तथा विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ बातचीत भी की।