मातृत्व लाभ अधिनियम 1961, मातृत्व के समय महिला के रोजगार की रक्षा करता है और मातृत्व लाभ का हकदार बनाता है- अर्थात अपने बच्चे की देखभाल के लिए पूरे भुगतान के साथ उसे काम से अनुपस्थित रहने की सुविधा देता है. यह अधिनियम दस या उससे अधिक व्यक्तियों के रोजगार वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू है. ये संशोधन संगठित क्षेत्र के लगभग 1.8 मिलियन महिला श्रमबल के लिए मददगार साबित होंगे. 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016 के जरिए मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में संशोधनों को अपनी कार्योत्तर स्वीकृति दी थी.
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में किए संशोधन इस प्रकार हैः
• दो बच्चों के लिए मातृत्व लाभ की सुविधा 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह और दो से अधिक बच्चों के लिए 12 सप्ताह.
• ‘कमिशनिंग मदर’ और ‘एडोप्टिंग मदर’ के लिए 12 सप्ताह का मातृत्व लाभ.
• घर से काम करने की सुविधा.
• 50 या उसके अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में क्रेच का अनिवार्य प्रावधान.
वजह-
• बच्चे की वृद्धि एवं विकास के लिए बचपन में मां द्वारा की जाने वाली देखभाल अहम होती है.
• 44वें, 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन ने मातृत्व लाभ 24 सप्ताह तक बढ़ाने की सिफारिश की है.
• महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मातृत्व लाभ आठ माह तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है.
• त्रिपक्षीय विचार-विमर्श में सभी हितधारकों ने सामान्य रूप में संशोधन प्रस्ताव का समर्थन किया है.