दिल्ली की स्वघोषित कट्टर ईमानदार पार्टी की सरकार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकारा है। साथ ही, एक बार फिर कोर्ट ने दिल्ली और पंजाब सरकार से सवाल किया है कि वह प्रदूषण के रोकथाम के लिए क्या कदम उठा रहे हैं!
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के किसानों को लेकर महत्वपूर्ण बात कही है। कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों को हमेशा विलेन बना दिया जाता है। कोई उनका पक्ष नहीं सुनता है। किसानों के पास पराली जलाने के लिए कारण जरूर होंगे। प्रश्न बहुत प्रासंगिक हैं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? राज्य हमें यह जवाब देने में सक्षम नहीं है। कोर्ट ने पंजाब सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि पंजाब सरकार को हरियाणा सरकार यह सबक लेना चाहिए कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए किस प्रकार से किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाता है।
इसके अलावा, दिल्ली सरकार के रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम यानि आरआरटीएस परियोजना को लेकर गैर जिम्मेदाराना रवैये को लेकर कहा कि आरआरटीएस परियोजना के लिए फंड आवंटित करने का वादा करने के बाद भी फंड आवंटित नहीं कर रही है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं कर रही है? हम आपको विज्ञापन के बजट पर रोक लगा देंगे और इसे आरआरटीएस परियोजना के लिए डायवर्ट कर देंगे।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार आरआरटीएस परियोजना में बाकी अपना 415 करोड़ रुपए का हिस्सा 28 नवंबर तक चुका दे। कोर्ट ने कड़े शब्दों में केजरीवाल सरकार को कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की सरकार ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापन पर 1100 करोड़ खर्च किए हैं। ऐसे में अगर पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापन के लिए 1100 करोड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है, तो निश्चित रूप से बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए पैसा दिया जा सकता है।