दीपावली का त्योहार देश के हर कोने में धूमधाम से मनाया जाता है। क्या आपको पता है कि दीपावली क्यों मनाई जाती है ? भगवान राम जब लंका जीतकर अयोध्या लौटे तो नगरवासियों उनकी जीत की खुशी में यह त्योहार मनाया था। दीपावली मनाने के पीछे और भी कई मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं इन सभी के बारे में।
दीपावली क्यों मनाई जाती है, इस बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध मान्यता है कि भगवान राम के वनवास से लौटने पर अयोध्या में उनका भव्य स्वागत किया गया और खुशियों के दीप जलाए गए। तभी से यह त्योहार मनाया जाता है। लेकिन इसके अलावे भी कई कहानियां हैं, जिनके बारे में कम लोग जानते हैं। आज हम आपको दीपावली मनाने के पीछे की छह कहानियां बताएंगे।
श्रीराम के वनवास से लौटने की खुशी
यह वह कहानी है जो लगभग सभी भारतीय को पता है। कहा जाता है कि मंथरा की बातों में आकर कैकई ने दशरथ से राम को वनवास भेजने का वचन मांग लिया। इसके बाद श्रीराम को वनवास जाना पड़ा। 14 वर्षों का वनवास बिताकर जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। तभी से दीपावली मनाई जाती है।
पांडवों का अपने राज्य लौटना
महाभारत काल में कौरवों ने, शकुनी मामा की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों को हराकर छलपूर्वक उनका सबकुछ ले लिया और उन्हें राज्य छोड़कर 13 वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा। कार्तिक अमावस्या को 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष का वनवास पूरा कर अपने राज्य लौटे। उनके लौटने की खुशी में राज्य के लोगों नें दीप जलाए। माना जाता है कि तभी से कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है।
राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के महान सम्राट थे। वह आदर्श राजा थे। उन्हें उनकी उदारता, साहस के लिए जाना है। कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या को ही उनका राज्याभिषेक हुआ था। ऐसे धर्मनिष्ठ राजा की याद में तभी से दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।
मां लक्ष्मी का अवतार
दीपावली का त्यौहार हिंदी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी जी ने अवतार लिया था। मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसलिए हर घर में दीप जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करते हैं।
छठवें सिख गुरु की आजादी
इस त्यौहार को सिख समुदाय के लोग अपने छठवें गुरु श्री हरगोविंदजी की याद में मनाते हैं। गुरु श्री हरगोविंदजी मुगल सम्राट जहांगीर की कैद में ग्वालियर जेल में थे। जहां से मुक्त होने पर खुशियां मनाई गईं। तभी से इस दिन त्यौहार मनाया जाता है।
नरकासुर वध
दीपावली का त्यौहार मनाने के पीछे एक और सबसे बड़ी कहानी है। कहा जाता है कि इसी दिन प्रभु श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर का राजा था। वह इतना क्रूर था कि उसने देवमाता अदिति की बालियां छीन ली। देवमाता अदिति श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा की संबंधी थीं। श्रीकृष्ण की मदद से सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया था। यह भी दीपावली मनाने का एक प्रमुख कारण बताया जाता है।