पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण दो के लिए बनाई जा रही एशिया की सबसे लंबी हाइड्रो टनल में पहली बार प्रयोग की गई सात समंदर पार की टनल बोरिंग मशीन ने अपना टारगेट पूरा कर लिया है। मशीन ने 32 किलोमीटर लंबी टनल के दोनों पोर्टल को आपस में मिलाने में सफलतापूर्वक भूमिका निभाई है। लगभग 200 करोड़ रुपए की लागत वाली इस टीवीएम को अब एनएचपीसी हैड रेस टनल के भीतर ही डिस्मेंटल करने जा रही है। एनएचपीसी द्वारा एशिया की सबसे लंबी 32 किलोमीटर टनल पार्वती प्रोजेक्ट चरण दो में बनाई जा रही है। बीते दो दशकों से मणिकर्ण से पानी को टनल के जरिए सियूंड गांव तक पहुंचाने के लिए विदेशी मशीन टीवीएम निर्वाध रूप से चलती रही, किंतु अब टनल का निर्माण कार्य समाप्त हो चुका है जिस कारण विदेशी मशीन टीवीएम भी डिस्मेंटल हो गई है।
22 वर्षों से भूगर्भ में रहने के बाद विदेशी मशीन टीवीएम अब दम तोड़ चुकी है। बताया जा रहा है कि विदेशी मशीन के कल पुर्जे खराब होने से मशीन भी हांफ चुकी है। पिछले 20 वर्षों में टनल बोरिंग मशीन खराब रहने से जहां प्रदेश सरकार को सालाना मिलने वाली 12 फीसदी रॉयल्टी से हाथ धोना पड़ा हैए वहीं एनएचपीसी को भी करोड़ों रुपए का घाटा झेलना पड़ा है। एनएचपीसी के कार्यपालक निदेशक निर्मल सिंह ने बताया कि वैसे तो टनल का काम चुनौती पूर्ण था किंतु विदेशी मशीन टीवीएम ने निर्माण कार्य को आसान कर दिया। अब मशीन दम तोड़ चुकी है , जिसे डिस्मेंटल किया जा रहा है।