हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा स्कूलों के रखरखाव के लिए मामूली बजट रखने को गंभीरता से लेते हुए वित्त सचिव और शिक्षा सचिव को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश जारी किए। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने दोनों सचिवों से इस वित्त वर्ष में स्कूलों की मुरम्मत के लिए मात्र अढ़ाई करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान करने का स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि जब उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से दायर रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों के 1512 कमरों की बड़ी और 3034 कमरों की छोटी मोटी मरम्मत की जानी है, तो इसके लिए मात्र अढ़ाई करोड़ का बजट क्यों रखा गया है।
दोनों सचिवों को 22 नवंबर को कोर्ट में तलब किया गया है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से प्राइमरी और मिडल सरकारी स्कूलों का ब्योरा मांगा था। कोर्ट ने पूछा था कि प्रदेश में कितने प्राथमिक और मिडिल स्कूल हैं? क्या उन्हें किसी प्रकार की छोटी बड़ी मुरम्मत की आवश्यकता है? क्या ऐसे स्कूलों में बिजली कनेक्शन हैं? क्या ऐसे स्कूलों में शौचालय हैं? स्कूलों के रखरखाव के लिए वार्षिक बजट क्या है? क्या सरकार के पास छात्रों के अनुपात और उपलब्ध कक्षाओं की संख्या के आधार पर अतिरिक्त कक्षों के निर्माण की योजना है और पिछले पांच वर्षों के दौरान कितने नए स्कूल भवनों का निर्माण किया गया है? स्कूलों की इमारतों की सुचारू रूप से मरम्मत व स्कूलों के उचित रखरखाव के आग्रह को लेकर हाई कोर्ट के समक्ष दायर जनहित याचिका पर उपरोक्त आदेश पारित किए गए हैं।