बिहार में जातीय गणना और सामाजिक आर्थिक सर्वे को विधान सभा में पेश करने के बाद से ये बड़ी चर्चा का हिस्सा बन गया है
बिहार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सदन में सर्वे रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि इससे बड़ा प्रमाण सरकार के काम को नहीं दिया जा सकता, लेकिन कुछ लोग इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गये।
उन्होंने बताया कि बिहार में पुरुष की साक्षरता 17% है और महिला की साक्षरता 22 प्रतिशत। बिहार में राज्य के 34.1 प्रतिशत परिवार गरीब हैं, जिनकी मासिक आय 6000 रुपये से कम है। वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 42 प्रतिशत परिवार गरीबों की श्रेणी में हैं।
जातीय गणना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया है। अभी इसके बारे में हमारे मंत्री संक्षेप में बताएंगे। इसके बाद हर दल के नेता को इस पर अपनी राय रखने का मौका मिलेगा। ये जातीय गणना सभी की रजामंदी से हुआ है…”।
बता दें बिहार की जातीय गणना और सामाजिक आर्थिक सर्वे पर कई लोग जमकर बयानबाजी कर रहे हैं। इसी बीच रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुजफ्फरपुर जिले के पताही में एक रैली को संबोधित करते हुए नीतिश सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य के जाति सर्वेक्षण में जानबूझकर मुस्लिमों और यादवों की आबादी को बढ़ाकर दिखाया है।