ज्ञानवापी मामले में मस्जिद पक्ष की एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मस्जिद पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट के बजाय किसी अन्य हाईकोर्ट को सौंपने के लिए याचिका दी गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
ज्ञानवापी मामले की 2021 से सुनवाई कर रही एकल-न्यायाधीश पीठ से वापस लेने के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक फैसले को सुप्रीम कोर्ट में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से चुनौती दी गई थी। एकल-न्यायाधीश पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद वाली जगह पर एक मंदिर को खोलने की मांग करने वाले मुकदमे की स्थिरता को चुनौती दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा, “हमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हाईकोर्टों में यह एक बहुत ही मानक प्रथा है। यह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के दायरे में आना चाहिए।”
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) एक एकल-न्यायाधीश पीठ से मामले को वापस लेने और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा इसे किसी अन्य पीठ को सौंपने को चुनौती दे रही है। याचिका खारिज करने से पहले सीजेआई ने मामले को स्थानांतरित करने के कारणों पर विचार किया और कहा कि वह इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ना चाहते।
30 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने AIMC की याचिका पर सुनवाई 8 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी थी।ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में चल रहे सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए जिला न्यायालय ने 2 नवंबर को एएसआई को 17 नवंबर तक समय दिया है। एएसआई ने अदालत से कहा कि उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, लेकिन रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने के लिए और समय चाहिए। एएसआई को सर्वे की रिपोर्ट छह नवंबर तक सौंपनी थी।