राज्य में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा से हर क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। प्राकृतिक आपदाओं और आपातकालीन स्थिति से प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए प्रदेश सरकार संचार के बेहतर वैकल्पिक साधन विकसित करने पर बल दे रही है। आपदा की स्थिति में जब फोन और इंटरनेट जैसी संचार सेवाएं ठप हो जाती हैं, तो इससे निपटने के लिए राज्य सरकार ने आपात स्थिति के दौरान वैकल्पिक संचार के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में एमेच्योर रेडियो (हैम) को बढ़ावा देने को स्वीकृति प्रदान की है। इस पहल के तहत राज्य के प्रत्येक उप-मंडल में कम से कम एक हैम रेडियो स्वयंसेवक बनाने की परिकल्पना की गई है।
ये स्वयंसेवक किसी भी आपदा या आपातकाल की स्थिति में राज्य स्तर पर स्थापित आपातकालीन संचालन केंद्र और सभी जिला आपातकालीन संचालन केंद्रों से जुडक़र वैकल्पिक संचार चैनल स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके लिए स्वयंसेवकों को आवश्यक उपकरणों की 80 प्रतिशत लागत का वहन सरकार द्वारा किया जाएगा तथा शेष 20 प्रतिशत लागत स्वयंसेवकों को वहन करनी होगी। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों में नए हैम रेडियो क्लब स्थापित करने, मौजूदा हैम रेडियो क्लबों को मजबूत करने और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण प्रदान करने में भी मदद करेगी।
मुख्यमंत्री का कहना है कि बारिश और सर्दियों में लाहुल-स्पीति, चंबा और किन्नौर जैसे जनजातीय जिलों सहित कई क्षेत्रों में संचार प्रणाली अकसर ठप हो जाती है। ऐसे में, संचार के वैकल्पिक साधन के रूप में हैम रेडियो की भूमिका और भी बढ़ जाती है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि आपातकालीन संचार में एमेच्योर रेडियो का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि जब टेलिफोन, मोबाइल फोन सहित अन्य पारंपरिक संचार सेवाएं बाधित हो जाती हैं, तो यह रेडियो स्टेशन सूचना संप्रेषण में उपयोगी हो सकते हैं। लंबी दूरी तय कर सकने की इनकी क्षमता के कारण यह आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं तथा जीवन बचाया जा सकता है।