पश्चिम बंगाल राशन घोटाले को लेकर ईडी ने बहुत बड़ा खुलासा किया है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, बकीबुर रहमान की तीन शेल कंपनियों का पता चला है जिसमें डमी डायरेक्टर बनाए गए थे। इनके जरिए ही राशन की खरीद फरोख्त हो रही थी। इन तीन कंपनियों में अवैध तरीके से 20 करोड़ से ज्यादा रुपए आए और ये पैसा ज्यादातर कैश ही आया। बकीबुर रहमान ने बताया कि इन कंपनियों का पैसा लोन के रूप में फूड एंड सप्लाई मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक को जा रहा है और वो इसके लाभार्थी हैं क्योंकि लोन वापस नहीं लिया गया।
ईडी सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में आगे की जांच से पता चलता है कि तीन कंपनियों के पहले निदेशक और शेयर होल्डर ज्योतिप्रिया मल्लिक की पत्नी मनिदीपा मल्लिक और उनकी बेटी प्रियदर्शिनी मल्लिक थीं। इन कंपनियों में बोगस शेयर प्रीमियम और अनाज के व्यापार से मिले फायदे के नाम पर पैसा जमा किया गया। इन कंपनियों से 20 करोड़ से ज्यादा रुपया बकीबुर रहमान के साले के बैंक एकाउंट में गया। 26 अक्टूबर को छापेमारी के दौरान ऐसा 16 करोड़ रुपया सीज किया गया है।
छापेमारी के दौरान ईडी ने ज्योतिप्रिया मल्लिक के घर से इन कम्पनियों के स्टांप बरामद किए थे। उनके घर में काम करने वालों के बयान दर्ज हुए। उन्होंने भी बताया कि इन कम्पनियों में डायरेक्टर मल्लिक के परिवार के लोग हैं। छापेमारी के दौरान एक शख्स ने एक नंबर MIC नाम से लिखा था, जिसको 68 लाख का पेमेंट दिया हुआ दिखाया गया। वो दरअसल मिनिस्टर ऑफ इंचार्ज था जो असल में फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर थे। उसने बताया कि ये पैसे बकीबुर रहमान के कहने पर मंत्री को दिए गए। बकीपुर रहमान ने मल्लिक और उसके परिवार के लिए फ्लाइट के टिकट भी बुक कराए इसके भी सबूत मिले हैं।
आगे की जांच के दौरान ईडी को यह भी पता चला कि नवंबर 2016 से मार्च 2017 के दौरान मोनादीपा मल्लिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 6.03 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। नवंबर 2016 के दौरान प्रियदर्शनी मल्लिक के आईडीबीआई बैंक खाते में 3.79 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। 4 अप्रैल 2016 को ज्योतिप्रिया मल्लिक ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जो एफिडेविट फाइल किया था, उसमें अपनी पत्नी के खाते में केवल 45 हजार रुपए दिखाए थे, जबकि अगले ही साल उनके खाते में 6 करोड़ से ज्यादा रुपये आ गए।
इतना ही नहीं ज्योतिप्रिया मल्लिक के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी को एक मेहरून रंग की डायरी मिली, जिसमें सिलसिलेवार तरीके से कैश और रसीदों की पूरी जानकारी थी। इस डायरी में एमआईसी ज्योतिप्रिया मल्लिक को ‘बालूदा’ के नाम से जाना जाता है और तीन कंपनियों के नाम बताए गए हैं। इसमें एनपीजी का नाम था और लेनदेन के बारे में जानकारी थी। जब्त डायरी में दिखाया गया कि ‘बालुदा’ यानी एमआईसी को कैश कैसे मिला, जो ज्योतिप्रिया मल्लिक और उसकी तीन कंपनियों में जमा किया गया था। इस पैसे को पहले शारदा आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, शारदा फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड और हनुमान रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था।
पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस घोटाले को लेकर 22 फरवरी 2020 से लेकर 2022 तक कई केस दर्ज किए थे। इसके बाद पीडीएस जो अवैध तरीके से राशन बेचते थे और उनके कई वितरक गिरफ्तार किए गए। ये राशन पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत वेस्ट बंगाल पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए सप्लाई होना था। लेकिन इस राशन सप्लाई की जिम्मेदारी सरकार ने एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को दी थी। इसका डायरेक्टर बकीबुर रहमान था। छापेमारी के दौरान एक शख्स के यहां से डायरी मिली जिसमें खरीद-फरोख्त की डिटेल्स थीं। उस शख्स ने बताया कि वो अवैध तौर पर पिछले 8-10 सालों से पीडीएस राशन की खरीद फरोख्त कर रहा है।
इसी तरह एक और शख्स ने बताया कि उसके पास पीडीएस राशन बेचने का लाइसेंस है लेकिन वो इस राशन को ओपन मार्केट में बेचता है। ये पूरा राशन एनपीजी राइस मिल्स प्राइवेट लिमिटेड से आ रहा था, जो मिल मालिक की मिलीभगत से खुले बाजार में अवैध तरीके से बेचा जा रहा था। फ्लोर के मैनेजर ने अपने बयान में बताया कि वो सरकारी वितरकों को 20-40 प्रतिशत कम राशन सप्लाई करता है और ये राशन प्राइवेट दुकानदारों को जाता है। सबूत के तौर पर कई रजिस्टर जब्त किए गए, जिनमें पेमेंट और ऐसे वितरकों की पूरी जानकारी थी।
ईडी ने यहां से पश्चिम बंगाल सरकार के अलग-अलग विभागों के 100 से ज्यादा स्टांप बरामद किए। आरोपी बकीबुर रहमान ने भी माना कि वो कई साल से इस गोरखधंधे में लगा है। बकीबुर रहमान को 14 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया था। वो ज्योतिप्रिया मल्लिक का बेहद करीबी है।