केंद्र सरकार की देशभर में सरकारी अधिकारियों की मदद से ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’, जिसे रथयात्रा भी कहा जा रहा है, निकालने की योजना चुनावी राज्यों में खटाई में पड़ गई है। चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में लगी आचार संहिता लगी होने के चलते, वहां यात्रा निकालने पर रोक लगा दी है। इस यात्रा के तहत सरकारी अधिकारियों को हर जिला में रथ प्रभारी बनाया गया है, जिसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है और केंद्र सरकार पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहा है। चुनाव आयोग ने अधिकारियों को ‘रथ प्रभारी’ बनाने से भी रोक दिया है। गौरतलब है कि बीते हफ्ते सरकार ने सभी केंद्रीय मंत्रियों को शीर्ष अधिकारियों के नाम देने को कहा था, जिन्हें आगामी विकसित भारत संकल्प यात्रा में अलग-अलग जिलों में रथ प्रभारी बनाया जाएगा। हालांकि सरकार के इस आदेश पर कई अधिकारियों ने नाराजगी जाहिर की थी।
पूर्व नौकरशाहों ने तो इस आदेश के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी भी लिखी थी। अधिकारियों का कहना है कि नियम सरकारी अधिकारियों को किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने की इजाजत नहीं देते। अधिकारियों के एक वर्ग और विपक्ष के एतराज के बीच चुनाव आयोग का निर्देश सामने आया है, जिसमें चुनाव आयोग ने पांच चुनावी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते यात्रा निकालने पर रोक लगा दी है। चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव को कहा है कि चुनाव के चलते आयोग ने बताई गई गतिविधियों को उन राज्यों में नहीं लागू करने को कहा है, जहां पांच दिसंबर 2023 तक चुनाव आचार संहिता लागू है। चुनाव आयोग का यह निर्देश ऐसे वक्त आया है, जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरकारी अधिकारियों को रथ प्रभारी बनाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। खरगे ने पत्र में लिखा कि यह सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल्स, 1964 का साफ उल्लंघन है, जो कहता है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेगा।