हिमाचल प्रदोश में 1661 से शुरू हुए कुल्लू दशहरा उत्सव की रिवायत कम नहीं हुई, बल्कि इस युग भी में परंपरा को बड़े उत्साह के साथ निभाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में नरसिंह भगवान की जलेब शोभायात्रा के सैकड़ों नहीं, हजारों लोग साक्षी बनते हैं। बता दें कि 2023 के इस दशहरा उत्सव में जहां देवी-देवताओं की संख्या 300 का आंकड़ा पार कर 314 के पास पहुंची है। नरसिंह भगवान की जलेब यात्रा में कोठी अनुसार देवी-देवता भाग लेते हैं, जहां पहली जलेब यात्रा में महाराजा कोठी के देवताओं ने भाग लिया था, वहीं कोटकंढी के सात देवता नरसिंह भगवान की जलेब शोभायात्रा में विराजमान हुए।
यह यात्रा तब आकर्षण का केंद्र बनी, जब नरसिंह भगवान के दोनों तरफ चल रहे देवी-देवता वाद्य यंत्रों की धुनों पर नाचे। यही नहीं, यात्रा में देवी-देवताओं के सबसे आगे नरसिंह भगवान की घोड़ी चल रही थी। घोड़ी के पीछे देवता सात देवी-देवताओं के वाद्ययंत्रों की धुनें खूब गूंज रही थी। वाद्य यंत्र वादकों के पीछे कोटकंढ़ी कोठी की महिलाओं ने कुल्लवी पट्ट में सजकर भाग लिया और इस पूरी यात्रा में महिलाएं अपने आराध्यों के साथ वाद्ययंत्रों की धुनों पर एक घंटे तक थिरकतीं रहीं। नरसिंह भगवान की परिक्रमा में बुजुर्गों से लेकर युवाओं ने भी भाग लिया। यात्रा में आशनी के देवता भृगू ऋषि, सीस के जमलू , हवाई के जमलू, जेष्ठा के लक्ष्मी नारायण, मनिहार के गौतम ऋषि, उड्सू के जम्दग्रि और नजां के चयवन ऋषि विराजमान थे।