हिमाचल प्रदोश में प्राकृतिक आपदा के कारण अब तक प्लॉटों से वंचित रहे 270 भाखड़ा विस्थापितों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार अब निजी जमीन खरीदेगी। इस संदर्भ में जिला बिलासपुर प्रशासन की ओर से एक महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव राज्य सरकार की अप्रूवल के लिए प्रेषित किया गया है। उस ओर से हरी झंडी मिलने के बाद प्रशासन द्वारा अगली कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस योजना के मूर्तरूप लेने से दशकों से प्लॉटों का विस्थापितों का इंतजार भी खत्म हो जाएगा। बिलासपुर शहर में प्लॉट से वंचित 270 भाखड़ा विस्थापितों को बसाने के लिए पिछले काफी समय से कवायद चल रही है। पहले प्रशासन ने एम्स के समीप चंगर पलासीं में खाली पड़ी राजस्व विभाग की 256 बीघा जमीन का चयन किया था और अतिरिक्त उपायुक्त की अगवाई में एक टीम ने स्पॉट विजिट कर प्लॉट तैयार करने को लेकर संभावनाएं तलाशी थीं, मगर यह जमीन लोगों को पसंद नहीं आई, जिसके चलते सीमावर्ती क्षेत्र ग्वालथाई के पास खाली पड़ी सरकारी जमीन एक्वायर करने को लेकर भी विचार बना, लेकिन उपयुक्त सरकारी जमीन उपलब्ध न होने के चलते जिला प्रशासन विस्थापितों के पुनर्वास के लिए निजी जमीन की खरीद करने की योजना पर काम शुरू किया। इस बाबत एक प्रस्ताव तैयार कर सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा गया हैै।
यदि यह प्रयास सिरे चढ़ते हैं, तो दशकों से प्लॉटों के लिए तरस रहे विस्थापितों का इंतजार खत्म हो जाएगा और उन्हें उनका हक मिल पाएगा। सूचना के मुताबिक अभी तक 118 भाखड़ा विस्थापितों को प्लॉट आबंटित किए जा चुके हैं, जबकि शेष 245 विस्थापितों को प्लॉट आबंटन को लेकर पिछले कई सालों से प्रक्रिया जारी है, मगर उपयुक्त जमीन उपलब्ध न होने की वजह से यह प्रक्रिया आगे से आगे खिसकती गई। इस आंकड़े में 25 और विस्थापित जुड़े हैं जिसके बाद विस्थापितों की संख्या अब 270 हो गई है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने भी अपने बिलासपुर दौरे के दौरान जनता को संबोधित करते हुए भाखड़ा विस्थापितों की समस्याओं के समाधान किए जाने को लेकर आश्वासन दिया है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही विस्थापितों का प्लॉटों का इंतजार खत्म होगा।