हिमाचल सरकार अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए राज्य प्रशासनिक प्राधिकरण यानी एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल को फिर से खोलने जा रही है। कैबिनेट ने अनौपचारिक एजेंडा के तहत यह फैसला लिया था। इसके बाद कार्मिक विभाग ने भारत सरकार से एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल एक्ट 1985 के प्रावधानों के तहत अनुमति मांग ली है। हालांकि केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने अपना फैसला देने से पहले कुछ औपचारिकताएं पूरी करने को कहा है। हिमाचल सरकार को कहा गया है कि नए प्रस्तावित ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां, कर्मचारियों की सेवा शर्तें और प्रोसीजर रूल्स का ड्राफ्ट पहले भेजा जाए। राज्य सरकार का तर्क है कि प्रशासनिक प्राधिकरण खुलने से सरकारी कर्मचारियों को सेवा संबंधी मामलों में जल्द न्याय मिलेगा। दूसरी तरफ इन मुकदमों को लडऩे की लागत भी राज्य सरकार की कम होगी। हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि इससे पहले खुलने के बाद तीन बार प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया जा चुका है। सरकारी कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को देखने के लिए हिमाचल में सबसे पहले प्रशासनिक प्राधिकरण 1986 में खोला गया था।
भाजपा की धूमल सरकार ने 2008 में इसे बंद कर दिया। 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ट्रिब्यूनल को फिर से बहाल कर दिया, लेकिन 2019 में पूर्व जयराम सरकार ने अध्यादेश लाकर ट्रिब्यूनल को समेट दिया। अब वर्तमान सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल करने जा रही है। वर्ष 2019 में जयराम ठाकुर की सरकार के समय जब इसे बंद किया गया था, तो हिमाचल हाई कोर्ट से भी कंकरेन्स ली गई थी। गौरतलब है कि सरकारी कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामले ट्रिब्यूनल के न होने की सूरत में राज्य हाई कोर्ट को ही जाते हैं। इन मामलों की सुनवाई ट्रिब्यूनल में जल्दी होती है या हाईकोर्ट में, इसको लेकर अलग-अलग पक्ष अलग-अलग दावा करते रहे हैं। (एचडीएम)
पूर्व जयराम सरकार के समय नौ अगस्त, 2019 को ऑर्डिनेंस लाकर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद किया गया था। उस वक्त ट्रिब्यूनल में अध्यक्ष जस्टिस वीके शर्मा थे और 21000 केस प्रशासनिक ट्रिब्यूनल से हाई कोर्ट को शिफ्ट हुए थे। उस समय करीब 100 कर्मचारी इस ट्रिब्यूनल में तैनात थे, जिन्हें इधर-उधर समायोजित किया गया। ट्रिब्यूनल का मुख्यालय छोटा शिमला स्थित मजीठा हाउस में था, जहां अब उद्योग विभाग का निदेशालय चलता है। अब ट्रिब्यूनल के बहाल होने की सूरत में इसके मुख्यालय के लिए भी सरकार को नई जगह तलाश करनी होगी।