आयुष्मान भारत हैल्थ अकांउट यानि आभा कार्ड से अब मरीज़ों की मेडिकल हिस्ट्री ऑनलाइन उपलब्ध होगी। अस्पतालों में मरीजों को उपचार करते समय डाक्टरों को यह हिस्ट्री उपलब्ध हो जाएगी। इससे मरीजों का सही उपचार करने में आसानी होगी। प्रदेश में मरीजों के आयुष्मान भारत हैल्थ अकाउंट बनाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर तक सभी लोगों के आभा कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में हिमाचल में भी सभी लोगों का आभा कार्ड बनाने की प्रक्रिया जोरों पर चल रही है। प्रदेश में अभी तक कुल 37 लाख लोगों के आभा कार्ड बना दिए गए हैं। हिमाचल की आधी आबादी के आभा कार्ड बनाए जा चुके हैं, जबकि बाकी बची आबादी के आभा कार्ड 31 दिसंबर तक बनाए जाएंगे। हिमाचल में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों के आभा कार्ड बनाने का काम कर रही हैं। कार्ड में आपके स्वास्थ्य से संबंधित पूरी जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में दर्ज होती रहेगी। पूरी मेडिकल हिस्ट्री अपडेट होगी।
ऐसे में जब आप किसी अस्पताल में इलाज कराने जाएंगे, तो आपको पुराने सभी रिकार्ड वहीं डिजिटल फॉर्मेट में मिल जाएंगे। अगर आप किसी दूसरे शहर के अस्पताल भी जाएं, तो वहां भी यूनीक कार्ड के जरिए डाटा देखा जा सकेगा। इससे डाक्टरों को इलाज में आसानी होगी। साथ ही कई नई रिपोट्र्स या प्रारंभिक जांच आदि में लगने वाला समय और धन खर्च बच जाएगा। आभा कार्ड पर कोई भी आपकी मेडिकल हिस्ट्री नहीं देख सकता है। कार्ड में दर्ज डाटा तभी देखा जा सकेगा, जब आप उसका ओटीपी नंबर बताएंगे। वहीं बच्चों के टीकाकरण से लेकर बड़े होने तक की सभी बीमारियों के उपचार के लिए अलग-अलग स्वास्थ्य पोर्टल बने हुए है। इन पोर्टल पर मरीज़ों की जानकारियां अपलब्ध होती हैं। इन सभी पोर्टल के साथ आभा आईडी लिंक की जाएगी। ऐसे में सभी टीकाकरण से लेकर अन्य सभी रोगों की जानकारी आभा आईडी पर उपलब्ध हो जाएगी।
हिमाचल में आभा कार्ड बनाने का काम वैसे तो आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से किया जा रहा हैं, लेकिन आप खुद भी आभा कार्ड बना सकते हैं। इसके लिए आपका भारत सरकार के आयुषमान भारत हैल्थ अकाउंट यानि आभा पोर्टल पर जाना होगा। इस पोर्टल पर आप आभा कार्ड स्वयं बना सकते हैं, इसके लिए मोबाइल नंबर आधार कार्ड से लिंक होना अनिवार्य है। ऐसे में जरूरी है कि कार्ड बनाने से पहले आप अपना मोबाइल नंबर आधार कार्ड से लिंक करवाएं।