हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को पुनर्वास योजना के तहत भारी बारिश एवं भूस्खलन से आई आपदा से प्रभावित जिला बिलासपुर के 1162 परिवारों को 8.97 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि वितरित की। उन्होंने जिला बिलासपुर में आपदा के दौरान जिन 94 प्रभावित परिवारों के घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें पहली किश्त के रूप में 3-3 लाख रुपए प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने बिलासपुर सदर विकास खंड के अंतर्गत 404 परिवारों को 3.93 करोड़, घुमारवीं विकास खंड के अंतर्गत 532 आपदा प्रभावित परिवारों को 4.55 करोड़ रुपए, झंडूता विकास खंड के तहत 198 आपदा प्रभावित परिवारों को 1.21 करोड़ रुपए तथा स्वारघाट विकास खंड के अंतर्गत 28 आपदा प्रभावित परिवारों को 19.10 लाख रुपए जारी किए।
सीएम सुक्खू ने कहा कि आपदा के तीन महीने के भीतर राहत राशि बांटने की शुरूआत की गई है, जो लोगों के कल्याण के प्रति राज्य सरकार की भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान जब विशेष राहत पैकेज देने पर चर्चा शुरू हुई तो उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि 16 हजार परिवारों को फिर से बसाने का दायित्व राज्य सरकार का है। इसी के दृष्टिगत आपदा प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने 4500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज जारी किया है, जिसमें घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने पर मिलने वाले मुआवजे को एक लाख 30 हजार से बढ़ाकर सात लाख रूपये किया गया है। इसके साथ ही बिजली व पानी के कनेक्शन फ्री प्रदान किए जा रहे हैं और घर बनाने के लिए सीमेंट प्रति बोरी 280 रुपए की दरों पर उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रभावित परिवारों को निःशुल्क टीडी उपलब्ध करवाने पर भी विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 11 माह पहले वर्तमान प्रदेश सरकार ने सत्ता संभाली तो सरकारी खजाना लगभग खाली था। राज्य पर 75 हजार करोड़ का कर्ज और 10 हजार करोड़ रुपये सरकारी कर्मचारियों की देनदारियों का बोझ था। पिछली भाजपा सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण हिमाचल आज आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है। लोगों को वास्तविक आर्थिक स्थिति का पता चले, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में श्वेत पत्र लाया गया। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक हिमाचलवासी पर एक लाख रुपए से अधिक का कर्ज है, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है।
सीएम सुक्खू ने कहा कि मानवीय संवदेनाओं को समझते हुए राज्य सरकार ने पहली ही कैबिनेट में प्रदेश के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की, ताकि बुढ़ापे में उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अभी राज्य की वित्तीय स्थिति पटरी पर लाने का प्रयास कर ही रही थी कि प्रदेश में भारी बारिश से भीषण आपदा की स्थिति पैदा हो गई। आपदा में उन्होंने स्वयं और मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने मोर्चा संभालते हुए राहत कार्यों का संचालन किया। उन्होंने कहा 48 घंटे में बिजली, पानी और मोबाइल सेवाओं को अस्थाई रूप से बहाल किया तथा 75 हजार पर्यटकों, 15 हजार गाड़ियों को सुरक्षित निकाला गया। रास्ते में फंसे हुए पर्यटकों के लिए फ्री खाने-पीने की सुविधा दी गई। उन्होंने कहा कि किसानों और बागबानों की फसल को मंडियों तक पहुंचाने के लिए सरकार के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने दिन-रात प्रयास किए जो राज्य सरकार की कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि बांध से अचानक पानी छोड़े जाने के कारण जिला कांगड़ा के फतेहपुर और इंदौरा में फंसे हुए 3000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब छोटे-छोटे बच्चे गुल्लक तोड़कर आपदा राहत कोष में दान दे रहे थे तब भी भाजपा हिमाचल के लोगों के साथ खड़ी नहीं हुई। आपदा में एकजुटता हिमाचल प्रदेश की संस्कृति है परन्तु भाजपा के नेताओं ने इसकी भी परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि विशेष राहत पैकेज को लेकर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले, लेकिन अब तक कोई विशेष राहत पैकेज नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 12000 करोड़ रुपए के दावे केंद्र सरकार को भेजे हैं। उन्होंने केन्द्र से आग्रह किया कि वे इस धनराशि को जल्द से जल्द जारी करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिलासपुर जिला के विकास के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। यहां के युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए गोविंद सागर झील में जल क्रीड़ाओं से संबंधित गतिविधियां शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर के लिए 100 करोड़ रुपये की मल निकासी योजना का शिलान्यास जल्द किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने हिमाचल के अधिकारों को वापस दिलाने का बीड़ा उठाया है।
उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से बीबीएमबी की बिजली परियोजनाओं में हिमाचल को 12 प्रतिशत रॉयल्टी दिलाने में मदद करने का आग्रह किया। उन्होंनें कहा कि भाखड़ा बांध विस्थापितों की समस्याओं का समाधान करने के लिए राज्य सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के 20 लाभार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए।