हिमाचल में बरसात से प्रभावित लोगों व उनके परिवारों को राज्य सरकार की ओर से राहत राशि का आबंटन किया जा रहा है। जिन लोगों की बरसात के कारण हुई दुर्घटनाओं में जान चली गई है, उन लोगों के परिवारों को चार लाख रुपए की अनुग्रह राशि सरकार की ओर से प्रदान की जाएगी, लेकिन इस आपदा में जो लोग लापता हो गए हैं, उनके परिवारों को राहत राशि के लिए सात साल का इंतजार करना पड़ेगा। प्रदेश में मॉनसून के दौरान आई प्राकृतिक आपदा में 39 लोग अभी तक लापता हैं। इन लोगों के जिंदा मिलने की संभावनाएं अब न के बराबर हैं, ऐसे में सात साल के बाद ही उन्हें मृत घोषित किया जाएगा। ऐसे में हादसे में किसी व्यक्ति की मौत पर परिजनों को मिलने वाला चार लाख रुपए का मुआवजा भी सात साल के बाद ही मिलेगा। बता दें कि अभी मंडी जिला से आठ लोग लापता हैं। 25 जून को कटौला तहसील के चाहल गांव की महिला डूब गई थी। उसका शव अभी तक नहीं मिला है।
इसके अलावा 14 अगस्त को भूस्खलन की घटनाओं में सात लोग लापता हैं। इनमें मसवेड़ा गांव से मीना देवी, दुर्गापुर से कृतिका, संबल पंडोह से मोनिका, रविता और सानिया लापता है। बैंसा गांव से विक्की, हेलन गांव से ममता लापता हैं। शिमला जिला के ननखड़ी में 11 जुलाई को हुए सडक़ हादसे में चार लोग अभी तक लापता हैं। इनमें मेहर सिंह पुत्र ईश्वर दास, शीतल पत्नी मेहर सिंह, राजीव पुत्र लायक राम और सुंदला पत्नी लायक राम अभी तक लापता है। इन लोगों को अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। इसके अलावा चंबा से सुशील कुमार नौ जुलाई को बाढ़ में बह गए थे। अभिषेक कुमार सडक़ हादसे में लापता थे और हरबंस सिंह बाढ़ में बह गए थे। किन्नौर जिला से दो लोग लापता हैं। सडक़ हादसे में कलवाड़ा गांव के मोहित लापता हैं व मूरंग गांव के जयवर्धन डूब गए थे। लाहुल में हरियाणा के परगट सिंह गुम हुए थे।
जिन जिलों के लोग लापता हैं, उनमें से चंबा में तीन, कांगड़ा में एक, किन्नौर में दो, कुल्लू में बीस, लाहुल-स्पीति में एक, मंडी में आठ और शिमला में चार लोग शामिल हैं।