राज्य के चार नगर निगमों में मेयर के चुनाव के लिए विधायक वोटर नहीं होंगे, चाहे वह मंत्री ही क्यों न हो। राज्य के शहरी विकास विभाग ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों को यह क्लेरिफिकेशन भेजी है। इसी क्लेरिफिकेशन की वजह से सोलन, मंडी, पालमपुर और धर्मशाला में नए मेयर का चुनाव नहीं हो पा रहा था। शिमला के अलावा अन्य चार नगर निगमों में मेयर के लिए पहले अढ़ाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। इसीलिए अब अगले अढ़ाई साल के लिए मेयर का चयन होना है। प्रधान सचिव शहरी विकास देवेश कुमार ने इस चुनाव प्रक्रिया को लेकर 12 अक्तूबर को अधिसूचना जारी कर दी थी। इस अधिसूचना के अनुसार धर्मशाला में अगले अढ़ाई साल मेयर के पद पर अब सिर्फ महिला नियुक्त होनी है, जबकि सोलन, मंडी और पालमपुर में मेयर का पद अगले अढ़ाई साल के लिए अनारक्षित रहेगा, लेकिन इस नोटिफिकेशन के बाद भी अब तक चुनाव नहीं हो पाए हैं।
इसकी वजह यह थी कि कई जिलों से उपायुक्तों ने एक प्वाइंट पर सरकार से क्लेरिफिकेशन मांगा था। उपायुक्तों ने पूछा था कि हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 1994 की धारा 4(3) के मुताबिक संबंधित क्षेत्र का विधायक मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए चुने हुए पार्षद की कैटेगरी में आते हैं या नहीं? अब शहरी विकास विभाग ने इस क्लेरिफिकेशन का जवाब भेजा है कि इस एक्ट के इस प्रावधान के अनुसार विधायक संबंधित शहरी निकाय क्षेत्र का पार्षद तो हो सकता है, लेकिन इलेक्टेड पार्षद नहीं। विभाग ने बताया है कि विधायक मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए इलेक्टेड पार्षदों में नहीं आते, इसलिए वह वोटिंग नहीं करेंगे। यह क्लेरिफिकेशन जाने के बाद अब संबंधित जिलों के डीसी चुनाव का अगला शेड्यूल जारी करेंगे। हालांकि सोलन और धर्मशाला जैसे नगर निगमों में विधायक के वोट का महत्त्व सदन की पार्षद संख्या के हिसाब से बन रहा था। पालमपुर में कांग्रेस और मंडी में भाजपा के लिए विधायक का वोट न होने के बावजूद कोई ज्यादा संकट नहीं दिख रहा। अब राज्य सरकार से क्लेरिफिकेशन जाने के बाद इस चुनाव पर आगे प्रक्रिया शुरू होगी।