पिछले कई वर्षों से एफसीए क्लीरेंस न मिलने के कारण लटकी 191 मैगावाट की थाना प्लोन विद्युत परियोजना का रास्ता अब साफ हो गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इस परियोजना के लिए फस्र्ट स्टेज एफसीए क्लीयरेंस दे दी है। 20 अक्तूबर को हुई मंत्रालय की बैठक में इस परियोजना को एफसीए क्लीयरेंस देने पर सहमति बनी है। इसके बाद अब इस योजना के धरालत पर उतरने के आसार बन गए हैं। पिछले एक दशक से 191 मैगावाट की यह परियोजना धरातल पर उतरने के लिए बेकरार है। पूर्व सरकार के समय इस परियोजना के लिए एफसीए क्लीयरेंस लेने के प्रयास किए गए थे, लेकिन मंत्रालय ने कई बड़ी आपत्तियां लगाते हुए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। परियोजना के तहत 427 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें ज्यादातर भूमि वन विभाग की है, लेकिन अब वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से फस्र्ट स्टेज एफसीए क्लीरेंयस मिलने से योजना को आगे बढ़ाने की मुख्य अड़चन दूर हो गई है। वन मंत्रालय ने देहरादून की एक निजी एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट के बाद इस परियोजना को हरी झंडी दी है। बता दें कि 2009 में सरकार ने इस परियोजना को बनाने का निर्णय लिया था। 2013 में इस प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार की गई। इसके बाद कुछ समय केंद्रीय भूजल बोर्ड से इस परियोजना को अनुमति लेने में लग गए। योजना का जिम्मा सरकार ने प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड को ही दे रखा है।
पूर्व भाजपा सरकार के समय सदर विधायक अनिल शर्मा के पावर मिनिस्टर रहते हुए योजना का काम तेजी से आगे बढ़ा था। अनिल शर्मा ने इस परियोजना की प्रोजेक्ट रिपोर्ट में भी काफी बदलाव करवाए। परियोजना का निर्माण मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र के तहत ब्यास नदी पर कून का तर पर किया जाना है। यह परियोजना अब तक तक की हाइड्रो प्रोजेक्ट में सबसे सस्ती तकनीक से बनाई जाएगी। इस परियोजना के लिए कून का तर नामक जगह पर बांध का निर्माण किया जाना है। यह पहली ऐसी परियोजना होगी, जिसके लिए कोई टनल नहीं बनाई जाएगी, जबकि इससे पहले आठ किलोमीटर लंबी टनल बनाई जा रही थी। अब योजना के लिए डैम के नीचे ही पावर हाउस बनाकर विद्युत उत्पादन होगा। यही वजह है कि इस परियोजना की कीमत 1500 करोड़ के लगभग आंकी गई है। कून का तर में 108 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट का जलाशय बांध से बिजणी तक लगभग 18 किलोमीटर रहेगा, जो कि रणा खड्ड और अरनोडी खड्ड में भी अपना दायरा बनाएगा। अनिल शर्मा ने बताया कि मंत्रालय की आपत्तियों से योजना खटाई में ही जाती दिख रही थी, लेकिन सरकार व अधिकारियों के प्रयास से इसे अब फस्र्ट स्टेज एफसीए क्लीरेंयस मिल गई है। जिससे योजना को बनाने की मुख्य अड़चन दूर हो गई है। उन्होंने बताया कि योजना के लिए विश्व बैंक से पहले फंडिंग स्वीकृति मिल चुकी है। एचडीएम