एमसी एक्ट में नगर निगम मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में विधायक को वोट का अधिकार न होने से सोलन में कांग्रेस के समीकरण बिगड़ गए हैं। हालांकि नगर निगम सोलन में कांग्रेस के पास बहुमत है, लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी को देखते हुए विधायक की वोट के सहारे फिर से मेयर व डिप्टी मेयर सीट पर कब्जा जमाने की सोच रही कांग्रेस को अब अलग रणनीति बनाने पर विचार करना पड़ सकता है। सोलन नगर निगम में कुल 17 सीटों में से कांग्रेस पार्षदों की संख्या 9 है, जबकि भाजपा समर्थित 7 पार्षद हैं और एक पार्षद निर्दलीय है। गौर रहे कि विधि विभाग ने शहरी विकास विभाग को स्पष्ट कर दिया है कि मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में विधायक को वोट का अधिकार नहीं है। इससे सोलन में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नौ पार्षदों वाली कांग्रेस 4-4 पार्षदों के गुटों में बंटी हुई और एक पार्षद ने पार्टी के निर्णय के साथ जाने का फैसला लिया है।
स्थानीय विधायक व स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल पहले ही साफ कर चुके हैं कि करीब अढ़ाई वर्ष पूर्व लिए गए फैसले के मुताबिक ही सोलन में नगर निगम की सरदारी दी जाएगी। ऐसे में वार्ड 17 से पार्षद सरदार सिंह ठाकुर को ही उन्होंने अगला मेयर का चेहरा बताया था। विधि विभाग ने शहरी विकास विभाग को स्पष्ट कर दिया है कि विधायक को वोट का अधिकार नहीं है। सोलन में कांग्रेस की मुश्किल इसलिए खड़ी हुई है कि अक्तूबर, 2022 को कांग्रेस के चार पार्षदों ने भाजपा के सात पार्षदों के साथ मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। हालांकि यह पारित नहीं हो सका, लेकिन कांग्रेस दो गुटों में बंट गई। (एचडीएम)
पूर्व मेयर व पूर्व डिप्टी मेयर सहित चार पार्षदों को मनाने का भरपूर प्रयास हो रहा है, लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है। कांग्रेस को लग रहा था कि यदि एक-दो पार्षद नाराज भी रहता, तब भी कांग्रेस विधायक की वोट के साथ अपना मेयर व डिप्टी मेयर बनाने में कामयाब जरूर हो जाएगी। वहीं, ताजा नोटिफिकेशन से कांग्रेस पार्टी की परेशानी थोड़ा बढ़ गई है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस के सभी पार्षद एकजुट हैं और नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर की सीट पर कांग्रेस ही काबिज होगी।